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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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Replies to This Discussion

आसमाँ से गिरा गया है मुझे
मेरा अभिमान खा गया है मुझे

शुक्र है ! आइना दिखा कर वो
मेरी कमियाँ बता गया है मुझे

कर के वादा तेरा मुकर जाना
दुनियादारी सिखा गया है मुझे

मैं हूँ आवाज़ आपके दिल की
ग़ौर से कब सुना गया है मुझे

अश्क पीना भी सीख ही लूँगा
"सब्र करना तो आ गया है मुझे"

मुझमें शुहरत की चाह बाक़ी है
क्यों कलन्दर कहा गया है मुझे

कर के तारीफ़ वो मेरी झूठी
ज़ह्र धीमा चटा गया है मुझे

मौलिक व अप्रकाशित

दिनेश जी अलहदा ग़ज़ल के लिए बधाई।

तरही शेर तो कमाल।

हार्दिक आभार आ. अजय गुप्ता साहब

जनाब दिनेश साहिब आदाब ,

शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई

हार्दिक आभार मिर्ज़ा साहब।

जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

आदाब आ. समर साहब। हार्दिक आभार।

बेहतरीन तरही शे'अर के साथ बढ़िया पेशकश। हार्दिक बधाई जनाब दिनेश कुमार साहिब।

बहुत शुक्रिया मुहतरम उस्मानी साहब।

जनाब दिनेश जी सादर अभिवादन। बहुत बेहतरीन ग़ज़ल आपकी आयी। शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ

आदरणीय दिनेश भाई बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई शेर दर शेर दाद कबूल कीजिए

आदरणीय दिनेश जी उम्दा ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकर करें जी 

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