For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएं।

इतने बड़े जहां में,
क्यों तू ही नहीं छिप सका,
ऐसा क्या खास तुझमें हुआ किया,
कि, हर नए ज़ख्म पर,
नाम तेरा ही छपा पाया।............. 1

सुना-सुना सा लगता है,
वो सदा है उसके वास्ते,
जीया-जीया सा सच है,
वो खुद ही है खुद के वास्ते,
हाँ, और कोई नहीं, कोई नहीं।............. 2

कहते थे,
भरोसा करके देखो।
किया, तो,
नज़ारा ही बदल गया।......... 3

अजीब हो दोस्त,
रिश्ते की परतें उधेड़ रहे हो,
पर ख़्याल रहे,
परत जो ज़िन्दगी ने बदली,
सह न पाओगे ।............. 4

मौलिक व अप्रकाशित।

Views: 931

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Usha on December 4, 2019 at 6:50pm
आदरणीय महेन्द्र सर, आपको मेरी क्षणिकाएं पसंद आयी, प्रसन्नता हुई। साभार।
Comment by Mahendra Kumar on December 4, 2019 at 5:59pm

अच्छी क्षणिकाएँ हैं आदरणीया उषा जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

Comment by Usha on November 29, 2019 at 2:55pm
आदरणीय समर कबीर सर, आदाब। मेरी क्षणिकाएं आपको पसंद आयी, मेरे लिए हर्ष की बात है। ह्रदय से आपका आभार । सादर ।
Comment by Usha on November 29, 2019 at 2:53pm
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' सर, क्षणिकाओं पर बधाई के लिए आभार।सादर ।
Comment by Usha on November 29, 2019 at 2:51pm
आदरणीय विजय शंकर सर, आपको क्षणिकाएं पसंद आयीं। ह्रदय से आभार। सादर ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 29, 2019 at 10:34am

आदरणीय सुश्री उषा जी , अच्छी क्षणिकाएं बनी है , जीवन के अनुभवों को सांकेतिक करती हुयी , बधाई , सादर।

Comment by नाथ सोनांचली on November 28, 2019 at 8:47pm

आद0 उषा जी सादर अभिवादन। बेहतरीन क्षणिकाएँ बन पड़ी हैं। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Samar kabeer on November 28, 2019 at 10:35am

मुहतरमा ऊषा जी आदाब,अच्छी क्षणिकाएँ हुई हैं,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Usha on November 27, 2019 at 6:49pm
आदरणीय प्रदीप सर, ख़्याल आपको पसंद आया।आभार । जी अवश्य, प्रयास जारी है इस आशा के साथ कि अच्छा कर सकूँ। सादर ।
Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on November 27, 2019 at 6:43pm

उषा जी ख्याल खूबसुरत हैं प्रयास जारी रक्खे, लिखते लिखते कवित्व भी आता जाएगा। -एक विद्यार्थी-

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
14 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
15 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service