आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।
ओह ! जबरदस्त लघुकथा ओर जबरदस्त पंच।हार्दिक बधाई आ. तेजवीर सिंह जी
हार्दिक आभार आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी।
आदाब। एक साथ कई गंभीर मुद्दों पर गहरे तीखे कटाक्ष और व्यंग्य करती संदेशवाहक रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। मैं इसे मेरी पसंदीदा और आपकी बेहतरीन रचनाओं में पा रहा हूँ।
हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।
बेहतरीनरचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय तेजवीर सरजी ।
बहुत बढ़िया और कटाक्ष करता कथ्य चुना है आपने भाई तेजवीर सिंह जी। प्रदत्त विषय को सार्थक करती और अंत में तीर की तरह चुभते शब्दों से समाप्त होती रचना के लिये बधाई स्वीकार करे भाई जी।
विषय मुसाफिर
मंजिल
दरवाजे पर सामना एक लड़के से हुआ निश्चित ही वह अक्षत था ,देखते ही कह उठा, " मैं पापा को बुलाता हूँ ।"
निलय (पापा ) व्हील चेयर पर ही बाहर आये। उम्र होने के बावजूद तेज यूँ ही बरकरार था , " कैसे आना हुआ ? "
सपाट से शब्द सुन मैं पूरी तरह हिल उठी फिर भी मैंने हिम्मत बटोरते हुए कहा , " तुम्हारी बेटी सृष्टि , अब मुझसे सम्हाली नही जा रही "
" क्यों ? "
नही कह सकी कि ," जिस राह पर मैं चली वहां जब तक पैसा हैं तबतक चमक ,उसके बाद फिसलन और दलदल ही हैं।तुमसे अलग होकर मैं निर्बाध आकाश में विचरती रही लेकिन वही निर्बाध आकाश अपनी बेटी को नही दे सकती। क्योकि उस राह की कोई मंजिल ही नही। " प्रत्यक्ष में : " तुमने कहा था कि एक दिन तुम अवश्य लौटोगी और आज मैं वापस आ गयी। "
" बहुत देर कर दी तुमने लौटने में , मैं जिंदगी के कई पड़ाव पार कर आगे निकल चुका हूं । रही सृष्टि की बात , उसकी जिम्मेदारी से मैं कभी भी पिछे नही हटा। "
उस देहरी पर मैं पूर्णतः कांप उठी जो कभी मेरी थी ," और मैं !
" वो तुम जानो, अगर उसके जीवन मे तुम्हारी दखल होगी तो इस घर में उसके लिए भी जगह नही होगी क्योंकि यह घर बहू- बेटी वाला हैं । "
मौलिक एवं अप्रकाशित
आदाब। विषयांतर्गत असफल वैवाहिक संबंधों के पश्चाताप और परिणाम उभारती और एक बुरी दुनिया के दुष्परिणाम बताती बढ़िया विचारोत्तेजक रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया अर्चना त्रिपाठी जी। कुछ एक.वाक्य विन्यास बेहतर किये जा सकते हैं।
हार्दिक बधाई आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी।बेहतरीन लघुकथा।यह घर बहू बेटी वाला है।गज़ब की पंच लाइन।
हार्दिक धन्यवाद आ. तेज वीर सिंह जी
हार्दिक आभार आ. उस्मानी जी कथा पर अमूल्य समय देने के लिए
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |