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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-51 (विषय: मुसाफिर)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-51 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:  
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-51
विषय: मुसाफिर 
अवधि : 29-06-2019  से 30-06-2019 
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अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं। 
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
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यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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लघुकथा- मुसाफिर हूं यारों


खाली बोतल को देख कर साहब  ने आंखें मली. फिर जोर से चिल्लाए ,‘‘ रामू ! वह लड़की कहां गई ?’’


‘‘ जी साहब !’’ रामू ने कमरे में आते ही कहा तो साहब ने अपने खाली अंगुली  और गले पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘ और मेरी सोने की अंगुठी और चैन कहां गई ?’’


‘‘ जी साहब !’’ रामू को सहसा विश्वास नहीं हुआ. यहां का परिदृश्य बिलकुल बदला हुआ था. ‘‘ साहब ! आप के कमरे से लड़किया रोती हुई निकलती है. इसलिए हम ने ध्यान नहीं दिया.’’


‘‘ क्या कह रहे हो ?’’ साहब ने आंखे तरैर कर पूछा, ‘‘ वह कब और कहां गई ?’’


‘‘ साहब ! सुबह बहुत जल्दी चली गई थी,’’ रामू ने कहा, ‘‘ जाते वक्त कह गई थी. साहब से कहना कि जग के नीचे एक चिट्ठ पड़ी है. उसे पढ़ लें.’’


‘‘ क्या ! ’’ साहब ने झट से जग उठाया. उस के नीचे से चिट्ठ निकाली और पढ़ी. फिर माथे पर हाथ रख कर धम्म से पलंग पर बैठ गए.


रामू ने साहब के हाथ में पकड़ी चिट्ठ पर निगाहे डाली, उस पर बड़ीबड़ी लिखावट में लिखा था, ‘‘ मेरे हम सफर ! पैसे ले कर जा रही हूं. एक रात मुसाफिर थी ! तुम जैसे नामर्द बलात्कारियों को एड्स बांटती हूं.’’
...................
मौलिक और अप्रकाशित

बहुत सुंदर और सटीक रचना प्रस्तुत की है भाई ओम प्रकाश जी, रहस्य अंत तक बना रहा और अंत में दिया गया संवाद एक जबर्दस्त चोट देता है, पात्र की और ऐसी सोच रखने वालो की मानसिकता पर.. हार्दिक बधाई भाई जी इस रचना के लिए 

आदरणीय वीरेंदर वीर मेहता जी आप की इस प्रोत्साहन भरी टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार.

आदाब। सत्यकथाओं का प्रतिनिधित्व करती विषयांतर्गत चेताती, चुनौती व चेतावनी देती बहुत बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई जनाब ओमप्रकाश क्षत्रीय 'प्रकाश' साहिब।

आदरणीय शेख शहजाद उसमानी जी आप की इस प्रोत्साहन भरी टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार.  आप को यह सत्यकथा के नजदीक लगी. पढ़ कर आनंद आ गया. 

जनाब ओमप्रकाश क्षत्रिय जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करती अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

कुछ टंकण त्रुटियाँ देख लें ।

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी । आप की अमूल्य प्रतिक्रिया मेरी धरोहर हैं । गलतियों का निवारण बाद में ही हो  सकेगा ।

मजा आ गया पढ़ कर की, नारी नारी ही नही चिंगारी भी हैं। हार्दिक बधाई आपको आ. ओमप्रकाश क्षत्रिय जी टंकण की त्रुटियों का भी संज्ञान लीजिये। सादर 

आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी आप को मेरी लघुकथा पसंद आई । यह जानकर अच्छा लगा। आप का हार्दिक आभार ।

हार्दिक बधाई आदरणीय ओम प्रकाश जी।बेहतरीन लघुकथा।

आदरणीय तेजवीर सिंह जी आपकी इस अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार

बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय ओमप्रकाश सरजी ।

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