For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“यार बड़ी दिक्कत है आजकल.”

“क्यों क्या हुआ.”

“रोज़ धर्म और देश भक्ति को लेकर बवाल हुआ करता है.”

“जब कुछ करने को न हो तब ऐसी छोटी-छोटी चीज़ें टाइम पास का अच्छा साधन होती हैं.”

“तुम्हारे कहने का मतलब जो कुछ भी आजकल हो रहा, सब टाइम पास है?”

“बिलकुल.”

“परसों जो लड़कों में मारपीट हुई, पुलिस ने लाठीचार्ज किया, मीडिया में बवाल मचा हुआ है, सब टाइम पास है?”

“बिलकुल है भाई. इसके अलावा इस बवाल का मतलब क्या है? तुम्हें कुछ सार्थकता दिखती है? नारे क्या देश प्रेम का पैमाना हैं?”  

“यानी तुम्हारे कहने का अर्थ है कि जो देश विरोधी नारे लगा रहे हैं, वह सही कर रहे हैं.”

“नहीं, लेकिन क्या जो देश के समर्थन में नारे लगा रहे हैं, वह ही देशभक्त हैं? यही आज की बड़ी विसंगति है कि सब नारों में ही सिमट रहा है.”

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 941

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 20, 2019 at 3:30pm

सिक्का अगर खोटा हो तो उसके दोनों पहलू खोटे होते हैं. इस बात की तस्दीक करती इस रचना के लिए हार्दिक बधाई, बृजेश भाई.

शुभातिशुभ

Comment by vijay nikore on June 18, 2019 at 2:25pm

रचना अच्छी लगी, बधाई बृजेश जी

Comment by बृजेश नीरज on June 13, 2019 at 11:06am

प्रतिभा पाण्डे जी आपका बहुत आभार 

Comment by बृजेश नीरज on June 13, 2019 at 11:05am

समर कबीर जी आपका हार्दिक आभार 

Comment by बृजेश नीरज on June 13, 2019 at 11:05am

नीलम उपाध्याय जी आभार आपका 

Comment by Neelam Upadhyaya on June 12, 2019 at 2:52pm

आदरणीया बृजेश नीरज जी, बढ़िया समसामयिक रचना की प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on June 11, 2019 at 12:35pm

जनाब बृजेश नीरज जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by pratibha pande on June 10, 2019 at 10:33am

कुछ तत्व अपने स्वार्थ के लिये मुद्दे गर्माये रखना चाहते हैं।  सामयिक विषय लिये प्रभावशाली रचना। हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service