For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ९३

२२१ २१२१ १२२१ २१२

अपनी गरज़ से आप भी मिलते रहे मुझे
ग़म है कि फिर भी आशना कहते रहे मुझे //१ 

दिल की किताब आपने सच में पढ़ी कहाँ
पन्नों की तर्ह सिर्फ़ पलटते रहे मुझे //२ 

मिस्ले ग़ुबारे दूदे तमन्ना मैं मिट गया
बुझती हुई शमा' सा वो तकते रहे मुझे //३ 

सौते ग़ज़ल से मेरी निकलती थी यूँ फ़ुगाँ
महफ़िल में सब ख़मोशी से सुनते रहे मुझे //४  

बस थीं हया की चादरें आँखों पे दरमियाँ
कपड़ों के कब सुराख़ ये ढंकते रहे मुझे //५ 

नीयत पे मेरे कॉलों के उठते हैं अब सवाल
ताउम्र जबकि लोग समझते रहे मुझे //६ 

दस्ते बुताँ न कोई मेरा हो सका कभी
पत्तों की मिस्ल सब ही बदलते रहे मुझे //७ 

झाँका तो अपने क़ल्ब में उसके सिवा ऐ राज़
उसकी ज़फ़ा के दाग़ भी दिखते रहे मुझे //८ 

~राज़ नवादवी

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

मिस्ले ग़ुबारे दूदे तमन्ना- इच्छा रुपी धुंए के ग़ुबार की तरह; सौते ग़ज़ल- ग़ज़ल की आवाज़; फ़ुगाँ- आर्तनाद; कौल- वचन, शब्द; दस्ते बुताँ- सुन्दर स्त्रियों के हाथ; मिस्ल- तरह

Views: 514

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on April 27, 2019 at 8:45pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by राज़ नवादवी on April 27, 2019 at 8:44pm

आदरणीय  समर कबीर साहब, माज़रत चाहूँगा, बहुत देर से इस पोस्ट पे लौटा हूँ. आपके बताए सुझाव के मुताबिक तरमीम करता हूँ. सादर. 

Comment by नाथ सोनांचली on February 5, 2019 at 6:04pm

आद0 राज़ नवादगी सादर अभिवादन। काफ़िया दोष को अगर छोड़ दिया जाए तो अच्छी ग़ज़ल है। बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by Samar kabeer on February 4, 2019 at 11:53pm

ब्लाग पर जनाब दयाराम मैठानी जी की ग़ज़ल पर इस दोष के बारे में विस्तृत चर्चा है ,उसे पढ़ लें ।

Comment by राज़ नवादवी on February 4, 2019 at 10:41pm

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. आपकी इस्लाह का बहुत बहुत शुक्रिया. मुझे कुछ ऐसा ही आभास हो रहा था. कृपा कर दोष को थोड़ा विस्तार से समझाएं, और इसे कैसे दूर किया जा सकता है, इसे बताने की कृपा करें. बहुत मेहरबानी होगी. सादर.

Comment by Samar kabeer on February 4, 2019 at 9:26pm

जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,पूरी ग़ज़ल में क़ाफ़िया दोष है,देखिये ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्श के लिए आभार। तीसरे शेर पर…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"तरही की ग़ज़लें अभ्यास के लिये होती हैं और यह अभ्यास बरसों चलता है तब एक मुकम्मल शायर निकलता है।…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"एक बात होती है शायर से उम्मीद, दूसरी होती है उसकी व्यस्तता और तीसरी होती है प्रस्तुति में हुई कोई…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी हुई। बाहर भी निकल दैर-ओ-हरम से कभी अपने भूखे को किसी रोटी खिलाने के लिए आ. दूसरी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी निबाही है आपने। मेरे विचार:  भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आ इन्सान को इन्सान…"
2 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122 1 मुझसे है अगर प्यार जताने के लिए आ।वादे जो किए तू ने निभाने के लिए…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपने ठीक ध्यान दिलाया. ख़ुद के लिए ही है. यह त्रुटी इसलिए हुई कि मैंने पहले…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश जी, आपकी प्रस्तुति का आध्यात्मिक पहलू प्रशंसनीय है.  अलबत्ता, ’तू ख़ुद लिए…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलकराज जी की विस्तृत विवेचना के बाद कहने को कुछ नहीं रह जाता. सो, प्रस्तुति के लिए हार्दिक…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"  ख़्वाहिश ये नहीं मुझको रिझाने के लिए आ   बीमार को तो देख के जाने के लिए आ   परदेस…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी बहुत सुंदर यथार्थवादी सृजन हुआ है । हार्दिक बधाई सर"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. चेतन प्रकाश जी..ख़ुर्शीद (सूरज) ..उगता है अत: मेरा शब्द चयन सहीह है.भूखे को किसी ही…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service