For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार छियान्बेवाँ आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

20 अप्रैल 2019 दिन शनिवार से 21 अप्रैल 2019 दिन रविवार तक
 
इस बार का छंद है - 

सार छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या दोहा-ग़ज़ल या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है.    

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगे 

सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 

20 अप्रैल 2019 दिन शनिवार से 21 अप्रैल 2019 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 7843

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

वाह ! वाह ! आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी प्रदत्त चित्र पर बहुत सुंदर सार छंद रचने हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें , सादर ।

 छन्न पकैया छन्न पकैया ,शुचि आखर की माला ।

 बहुत बधाई स्वीकारें अब , छंद  रचे  हैं  आला ।।

वाह। हरिओम जी एक से बढ़कर एक छंद।

अंतिम बन्द तो जैसे अंगूठी में नगीना जड़ा गया।

नेता शायद भूल  गए हैं, अब विकास की बातें।

होड़  मची है  सभी दलों में, देने   की सौगातें।।

मर्यादा सबने ही  त्यागी, नेता जहर   उगलते।

सारे हथकंडे  अपनाकर, जनता को  ये छलते।।...........आज के परिदृश्य को सुन्दरता से छंदों में ढाला है साहब.

आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सादर, प्रदत्त चित्र पर उत्तम छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. 

द्वितीय प्रयास

गीत

मत मानें ईश्वर को कोई, 

पर्व न उसके मानें

महापर्व जो लोकतंत्र का

इसकी महता जानें।

नीति बनाने वाले हों वे

जो खुद इस पर चलते

ऐसे लोगों को चुनने के

स्वप्न रहें बस पलते

भेद-भाव जो सदा भुनाते

उनसे रहना टलते

उन्हें देखना चाहें आँखें

बस हाथों को मलते।

खत्म करें पावन धरती से

सारे गलत ठिकानें

महापर्व जो लोकतंत्र का

इसकी महता जानें।

सोते रहना ठीक नहीं अब

समय जागने का है

अब कर्तव्य  मार्ग से देखो

नहीं भागने का है

नींद सही से छिटके सारी

आँखें अब खुल जाएँ

अपने मत को ठीक व्यक्ति को

देने आगे आएँ

मिली जो शक्ति हम लोगों को

उसको सब पहचानें

महापर्व जो लोकतंत्र का

इसकी महता जानें।

मौलिक अप्रकाशित

वाहह,वाहहह,चित्र पर बहुत सुंदर प्रस्तुति। किंतु विनम्रता पूर्वक निवेदन करना चाहूँगा आदरणीय हरविन्द्र कुमार राणा जी-
मत मानें ईश्वर को कोई, पर्व न उसके मानें....मुखड़ा कुछ सुधार चाहता है, 'मत मानें', शब्द कुछ उपयुक्त नहीं जान पड़ रहा है। इस तरह कह सकते हैं - 'भले नहीं ईश्वर को मानें, पर्व न उसके मानें।'
भेद-भाव जो सदा भुनाते, उनसे रहना टलते...यहाँ 'टलते' शब्द प्रयुक्त किया जाना त्रुटिपूर्ण है। 'बचते' की जगह 'टलते' प्रयुक्त किया गया है।
सारे गलत ठिकानें....सही शब्द है 'ठिकाने'. तुक मिलान हेतु हम अनावश्यक रूप से अनुस्वार नहीं लगा सकते।
"मिली जो शक्ति हम लोगों को"....इस चरण में गलत शब्द विन्यास के कारण प्रवाह बाधित है। इस तरह कह सकते हैं - "शक्ति मिली जो हम लोगों को"

आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी, सादर नमन आपके मार्गदर्शन पा अभिभूत हुआ। आपके सुझावानुरूप सही करने का प्रयास करूँगा। सादर आभार

वाह अतिसुंदर एवं सार्थक गीत का सृजन हुआ है आदरणीय हार्दिक बधाई स्वीकार करें

आदरणीय सत्यनारायण जी सादर आभार सह नमन आपको

जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब,आपकी ये प्रस्तुति भी कमाल की हुई,बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय समर सर सादर नमन, हार्दिक आभार

सुन्दर गीत सृजन   हार्दिक बधाई आदरणीय सतविन्दर भाई

आदरणीया प्रतिभा दीदी, सादर नमन सह हार्दिक आभार उत्साहवर्धन के लिए

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी हुई। बाहर भी निकल दैर-ओ-हरम से कभी अपने भूखे को किसी रोटी खिलाने के लिए आ. दूसरी…"
43 seconds ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी निबाही है आपने। मेरे विचार:  भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आ इन्सान को इन्सान…"
14 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122 1 मुझसे है अगर प्यार जताने के लिए आ।वादे जो किए तू ने निभाने के लिए…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपने ठीक ध्यान दिलाया. ख़ुद के लिए ही है. यह त्रुटी इसलिए हुई कि मैंने पहले…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश जी, आपकी प्रस्तुति का आध्यात्मिक पहलू प्रशंसनीय है.  अलबत्ता, ’तू ख़ुद लिए…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलकराज जी की विस्तृत विवेचना के बाद कहने को कुछ नहीं रह जाता. सो, प्रस्तुति के लिए हार्दिक…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"  ख़्वाहिश ये नहीं मुझको रिझाने के लिए आ   बीमार को तो देख के जाने के लिए आ   परदेस…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी बहुत सुंदर यथार्थवादी सृजन हुआ है । हार्दिक बधाई सर"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. चेतन प्रकाश जी..ख़ुर्शीद (सूरज) ..उगता है अत: मेरा शब्द चयन सहीह है.भूखे को किसी ही…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मतला बहुत खूबसूरत हुआ,  आदरणीय भाई,  नीलेश ' नूर! दूसरा शे'र भी कुछ कम नहीं…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
". तू है तो तेरा जलवा दिखाने के लिए आ नफ़रत को ख़ुदाया! तू मिटाने के लिए आ. . ज़ुल्मत ने किया घर तेरे…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. लक्ष्मण जी,मतला भरपूर हुआ है .. जिसके लिए बधाई.अन्य शेर थोडा बहुत पुनरीक्षण मांग रहे…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service