For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है, प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43
"विषय: "आजकल" 
अवधि : 30-10-2018  से 31-10-2018 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 7335

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

उत्साहवर्धक टिप्पणी हेतु हृदय से आभारी हूँ आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी. बहुत-बहुत शुक्रिया. सादर.

वरदान ही समझो डॉo विजय शंकर 

आज पार्टी में मिसेज़ शालिनी कुछ अधिक ही खुश नज़र रहीं थीं , बिल्कुल निश्चिन्त सी , उन्मुक्त। वरना प्रायः तो वे पार्टियों में जाती हीं नहीं , जाती भी हैं तो परेशान सी , जल्दी वापस जाना है , बच्चों को जल्दी टाइम से सुलाना है , सुबह जल्दी उठना है , बच्चों को डे-केअर में छोड़ना है , जैसे बहाने, सदैव।  

आखिर ऋतु ने उनसे पूछ ही लिया , “ क्या बात है शालिनी आज बड़ी निश्चिंतता है ? कोई उलझन नहीं ?कोई जल्दी नहीं ?” 

शालिनी मुस्करा दी।  कुछ बोली नहीं।  फिर कुछ रुक कर बोली , “ डांस फ्लोर पर चलें ?” 

अरे वाह ” , ऋतु के मुंह से निकला और वह शालिनी का हाथ पकड़ कर फ्लोर की ओर चल दी। रास्ते में विवेक से उसकी हॉय हेलो भी हुई , आज उसे विवेक भी कुछ एक्ट्रा मस्त नज़र आये।  उसने एक बार फिर शालिनी की ओर प्रश्न भरी नज़र डाली , जैसे आश्चर्य से पूछ रही हो , पति पत्नि दोनों इतने प्रसन्न। वह फिर मुस्करा दी।  

डांस फ्लोर पर काफी भीड़ थी , लेडीज़ के साथ बच्चे भी उलटे सीधे हाथ - पाँव चला रहे थे।पर सबसे बेखबर शालिनी अपने में मस्त थिरक रही थी। उसे देख कर ऋतु को लगा कि कुछ तो अवश्य है , वह शालिनी को पिछले तीन साल से जानती है , उसे इतना खुश और निश्चिन्त उसने उसे कभी नहीं देखा।हमेशा घर , जॉब, बच्चों की बातें करते मिलती , विवेक भी उसी तरह व्यथित।आजकल जॉब वाली गृहणियों को कैसी-कैसी समस्याओं से रोज़ हे दो-चार होना पड़ता है। उसने सोचा , पूछना ही पड़ेगा , अचानक कौन सी बहार गई ? 

आखिर थोड़ी देर बाद वह शालिनी को लेकर एक खाली टेबल की ओर बढ़ी और बली , “ चल एक एक कोल्ड ड्रिंक लेते हैं। 

दो सिप लेते ही फिर पूछ ही बैठी , “ ये चक्कार क्या है , आज तुझे बिलकुल कोई फ़िक्र नहीं बच्चों की , घर की।  बच्चे नाना के यहां गए हैं क्या ? ”

नहीं तो बड़ा संक्षिप्त सा उत्तर दिया शालिनी ने।  

तो फिर कौन सा वरदान बरस पड़ा जो मैडम बिलकुल बेखबर , उन्मुक्त ? ” 

हाँ ये बात तो है , वरदान ही समझो फिर कुछ रुक कर बोली , “ पापा जी पिछले महीने रिटायर हो गए और अब मम्मी जी और पापा जी दोनों यहां गए , हम लोगों के साथ रहने। 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

  1. वाह ! अंत में खुला राज. हार्दिक बधाई आदरणीय विजय शंकर जी.

आदरणीय ओम प्रकाश क्षत्रिय जी , ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।

प्रदत्त विषय पर बहुत ही शानदार लघुकथा कही है आपने आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी. शीर्षक उम्दा है और प्रस्तुति लाजवाब. मेरी तरफ़ से ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए.

1. //समस्याओं से रोज़ ही दो-चार होना पड़ता है।//

2. //टेबल की ओर बढ़ी और बोली//

सादर.

आदरणीय महेंद्र कुमार जी , बधाई के लिए बहुत बहुत आभार एवं सराहना के लिए धन्यवाद , सादर।

अंत में खुलते राज में दो संकेत हैं या तो मम्मी पापा के साथ रहने का सुख या फिर जिन कामों को लेकर तनाव ंव रहती थी उनसे निश्चिन्त हो जायेगी,बधाई विजय सरजी।

आदरणीय सुश्री बबीता गुप्ता जी , बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।

        आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी, बहुत ही सुंदर लघु कथा को अच्छे ढंग से कहने की बधाई कुबूल करें  

आदरणीय मोहन बेगोवाल जी , बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।

कुछ लोग इसे वरदान समझते है तो अधिकांश आजकल इसे अभिशाप ही मानते हैं, बहुत बढ़िया रचना विषय पर. बहुत बहुत बधाई आ डॉ विजय शंकर जी

आदरणीय विनय कुमार जी , आपकी पकड़ को नमन। मैं यही सदेश देना चाहता था कि वास्तव में यह वरदान ही है , विशेषतः नौकरी पेशा दम्पतियों के लिए।
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद। सादर।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी सहज स्वीकृति आपके सार्थक प्रयासों का परिचायक है, आदरणीय अजय अजेय जी.  पटल पर सहभागिता के…"
11 seconds ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीया ॠचा जी.  आपकी सहभागिता का भी धन्यवाद. "
2 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपका हार्दिक धन्यवाद, शिज्जू भाई.  आपकी गजल के शेर सहज ही ध्यान आकृष्ट करते हैं. पुनः…"
5 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. जी, आदरणीय तिलकराज जी से मिले सुझावों के हम सभी…"
7 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी सहजता और सौम्यता सम्माननीय है।"
46 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
" "था, बस तुम्हारा नाम था" रदीफ़ रखते हुए। 😊"
47 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"मेरे प्रयास की सराहना के लिए बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
53 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी सराहना और सुझाव दोनों समान रूप से स्वीकार्य है आदरणीय। स्नेहाशीष के लिए आभार।"
56 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"//टीस बढ़ती ही गयी, ज्यूँ ज्यूँ दवा लेता गयाउस दवा का नाम क्या था, बस तुम्हारा नाम था// बहुत ख़ूब…"
59 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, आपका कथन उचित है परंतु कई बार अनेंकों का भी प्रयोग किया जाता…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सादर प्रणाम आदरणीय ! मेरी साधारण कहन को सोने के गहने पहना दिये आपने। मन प्रफ्फुलित हो गया आपका आशीष…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service