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अलमारी में रखे शब्दकोष के पन्ने अचानक फड़फड़ाने लगे । हो सकता है ये उनके अंदर की बेचैनी या घबराहट हो । " सहिष्णुता " शब्द ने "संस्कार " से अपनी व्यथा बताते हुए कहा -" मेरे अर्थ को लोग भूल से गए हैं । मैं उपेक्षित जीवन जी रहा हूँ । मेरे मर्म को कोई जानना नहीं चाहता । बुरा तो तब और लगता है जब मेरे आगे "अ" जोड़कर " असहिष्णुता " बनाकर देश में बवाल मचाया जा रहा है ।"
" सच कहती हो " सहिष्णुता" बहना । मेरी भी हालत अनाथों की तरह हो गई है । कोई मुझे अपनाने को तैयार ही नहीं है ।" "संस्कार "बोला ।
दोनों के वार्तालाप को सुन " देशभक्ति " पीड़ा से कराहती हुई बोली -" मेरी हालत तो और भी ख़राब है । आज़ादी के आंदोलनों में साध्य थी मगर आजकल मैं साधन बनकर रह गई हूँ .......।" इतना कहना ही था कि अचानक ज़ोर-ज़ोर से उत्तेजक नारों की आवाज़ें सुनाई दी । शायद दंगाई थे । देखते ही देखते उन्होने आगजनी शुरू कर दी । शब्दकोष भी चपेट में आ गया । " सहिष्णुता " , " संस्कार " और " देशभक्ति " को जलता देख पन्ने पर जलने से बची "हिंसा " रावणी हँसी हँस रही थी ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment by रक्षिता सिंह on June 11, 2018 at 10:44am

आदरणीय आरिफ जी नमस्कार,

मैं आपकी कल्पना की दाद देती हूँ,

कितनी सजीवता से वर्णन किया आपने शब्दो की आपसी बातचीत का....

बहुत खूबसूरत, दिली मुबारकबाद  कुबूल करें ।

Comment by Mohammed Arif on March 14, 2018 at 6:20pm

रचना के अनुमोदन और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश कुमार जी ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 14, 2018 at 4:59pm

बहुत ही शानदार लघु कथा लिखी है आदरणीय आरिफ जी..वाह..अंत तक पहुचते पहुचते ज़िस्म में सिहरन सी दौड़ गई..बहुत बहुत बधाई

Comment by Mohammed Arif on March 14, 2018 at 2:56pm

रचना के अनुमोदन और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत हार्दिक आभार आदरणीय आशुतोष जी ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 14, 2018 at 11:59am

आदरणीय आरिफ जी वर्तमान परिदृश्य से साक्षात्कार करती शानदार लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Mohammed Arif on March 14, 2018 at 8:46am

रचना के अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत-बहुत आभार आदरणीय तेज वीर सिंह जी ।

Comment by Mohammed Arif on March 14, 2018 at 8:44am

रचना के अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत-बहुत आभार आदरणीया नीलम उपाध्याय जी ।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 13, 2018 at 4:04pm

हार्दिक बधाई आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।बहुत अच्छी लघुकथा।

Comment by Neelam Upadhyaya on March 13, 2018 at 3:44pm

आदरणीय आरिफ साहब, वर्तमान परिवेश कि स्थितियों का बहुत ही बढ़िया नमूना है लघुकथा । हार्दिक बधाई ।

Comment by Mohammed Arif on March 13, 2018 at 8:13am

रचना के अनुमोदन और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत हार्दिक आभार आदरणीय हर्ष महाजन जी । लेखन सार्थक हो गया आपकी टिप्पणी पाकर ।

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