For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नारी दिवस के दोहे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

माता भगिनी  संगिनी, सुता  रूप  में नार
विपदा दुख पीड़ा सहे, बाँटे लेकिन प्यार।१।


रही जन्म से नार तो, सदा शक्ति का रूप
समझे कैसे खुद रहा, मर्द हवस का कूप।२।


जो नारी का नित करें, पगपग पर सम्मान
संतो सा उनका रहा, सचमुच चरित महान।३।


नारी को जो  कह गये, यहाँ  नरक का द्वार
सब जन उनको जानिए, इस भू पर थे भार।४।


मुझ मूरख का है नहीं, गीता का यह ज्ञान
देवों से बढ़  नार का, कर  मानव सम्मान।५।


बन जायेगा सच कहूँ, मन्दिर सा हर गेह
अगर मानना छोड़ दें, नारी को बस देह।६।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 707

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 13, 2018 at 3:13pm

आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन । उपस्थिति से दोहों का मान बढ़ाने के लिए आभार ।

Comment by vijay nikore on March 12, 2018 at 1:59pm

दोहे उत्तम हैं।हार्दिक बधाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2018 at 11:54am

आ. भाई नीलेश जी, हार्दिक आभार ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 12, 2018 at 7:37am

बहुत अच्छे दोहे कहे हैं आ लक्ष्मण भाई ..
बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 11, 2018 at 2:34pm

आ. भाई सुरेंद्र जी, उपस्थिति और उत्साहवर्धन क लिए आभार ।

Comment by नाथ सोनांचली on March 11, 2018 at 6:09am

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। बढिया नारी को समर्पित दोहे रचे आपने। बहुत बहुत बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 9, 2018 at 11:14pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 9, 2018 at 11:12pm

आ. भाई सलीम जी, उत्साहवर्धन के लिए अभार ।

Comment by Samar kabeer on March 8, 2018 at 10:13pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,नारी दिवस पर बहुत उम्दा दोहे,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by SALIM RAZA REWA on March 8, 2018 at 9:57pm
आ. लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी,
वह वाह आपने नारी दिवस पर
हमारी माँ बेटियों पर क्या दोहे कहे है... वाह हर दोहा ख़ूबसूरत.. मुबारक़बाद क़ुबूल करें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service