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रूठो न दिलदार कि होली आई है- होली गीत-सलीम रज़ा

रूठो न दिलदार कि होली आई है
झूम उठा संसार कि होली आई है
-
साजन हैं परदेस न भाए रंग-अबीर 
गोरी के आँखों से बहता झर-झर नीर
ख़त में साजन को ये लिखकर भेजा है 
तुम बिन नहीं क़रार कि होली आई है
-
होली के दिन बदला हर रुख़सार लगे 
रंग-बिरंगा होली का श्रंगार लगे
पिए भांग हैं मस्त फाग की टोली में 
बरसे रंग-फुहार कि होली आई है
-
होली के दिन बड़ों का आशीर्वाद रहे 
छोटो के संग होली का पल याद रहे
हर मज़हब के लोग खुशी मे खोए हैं 
रंगो का त्यौहार कि होली आई है
_________________________
"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by SALIM RAZA REWA on March 3, 2018 at 8:03pm
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'..
जी गीत पे आपकी महब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 3, 2018 at 7:52pm

आ. भाई सलीम जी, सुंदर रचना हुई है ,हार्दिक बधाई ।

Comment by SALIM RAZA REWA on March 3, 2018 at 5:56pm
विजय कुमार जी,
कविता पसंद करने के लिए बहुत शुक्रिया
Comment by SALIM RAZA REWA on March 3, 2018 at 5:55pm
जनाब आरिफ साहब,
हम समझ रहें है आपकी कविता में लघुकथा टाइप हो गया था... इसीलिए आप.. गीत में शेर दर शेर मुबारक़बाद दे रहे हैं....
हा..... हा.... हा
Comment by SALIM RAZA REWA on March 3, 2018 at 5:52pm
जनाब आरिफ साहब,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया. आपको गीत पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ.
Comment by ASRAR DHARVI on March 3, 2018 at 4:09pm

जनाब समर कबीर साहिब अस्सलामो अलय्कुम दिल से शुक्रियाअदा करता हूँ।आपका। हिन्दी लिखने की मश्क़ करता हूँ।शुक्रिया।

  • जनाब समर साहेब 
Comment by vijay nikore on March 3, 2018 at 2:57pm

  बहुत ही दिलकश गज़ल है आदरणीय सलीम रज़ा जी, आपको हार्दिक बधाई।

Comment by Mohammed Arif on March 2, 2018 at 10:51pm

आदरणीय सलीम रज़ा साहब आदाब,

                                 बहुत ही उम्दा ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें 

                                                रंग पर्व होली की मुबारकबाद ।

Comment by SALIM RAZA REWA on March 2, 2018 at 10:51pm
जनाब असरार धारवी साहिब,
ओ बी ओ परिवार में आपका इस्तक़बाल है,
आपकी महब्बत के लिए शुक्रिया.
उम्मीद है कि आप अपनी बेहतरीन ग़ज़लों से जल्द ही नवाज़े गें.
Comment by SALIM RAZA REWA on March 2, 2018 at 10:51pm
जनाब असरार धारवी साहिब,
ओ बी ओ परिवार में आपका इस्तक़बाल है,
आपकी महब्बत के लिए शुक्रिया.
उम्मीद है कि आप अपनी बेहतरीन ग़ज़लों से जल्द ही नवाज़े गें.

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