For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -सूरते जान जो'रौनक वो, कही' नूर नहीं - कालीपद 'प्रसाद'

सूरते जान जो'रौनक वो, कही' नूर नहीं 

यह अलग बात है दुनिया में' वो मशहूर नहीं 

प्यार करता हूँ’ मैं’ पागल की’ तरह पर क्या’ करूँ

हर समय प्यार जताना उसे’ मंज़ूर नहीं |

सांसदों में अभी’ दागी हैं’ बहुत से नेता

दाग धोना बड़ा’ दू:साध्य है’, नासूर नहीं |

चाह ऐसी कि सज़ा सबको’ मिले जो दोषी

पर सज़ा सबको’ मिले ऐसा’ भी’ दस्तूर नहीं |

लोक सरकार अभी, राज है’ जनता का यह

हैं सभी स्वामी’ यहाँ ,कोई’ भी’ मजदूर नहीं |

देखने में तो'' महरबां लगे सारे  नेता

किन्तु दिल से तो' को’ई भी कभी' अक्रूर नहीं |

थाम कर स्वांस प्रतीक्षा की’ है’ अच्छे दिन का

की है’ जो कोशिशें’ लगता है’ वो’ दिन दूर नहीं |

बन सितारा यहीं ‘काली’ कि गगन नाप लिया

आफताबी है’ चमक पर  कभी मगरूर नहीं  |

‘अक्रूर= दयाबान, कृपालु

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 726

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 21, 2017 at 8:36pm

ग़ज़ल पर शिरकत करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आ लक्षण धामी जी 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 21, 2017 at 8:35pm

ग़ज़ल पर शिरकत करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आ नवीन मणि जी 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 21, 2017 at 8:33pm

हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया आ सतविंदर कुमार जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 20, 2017 at 11:33pm

हार्दिक बधाई ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 20, 2017 at 2:04pm

वाह बहुत खूब । आ0 समर साहब की इस्लाह कीमती है । 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 19, 2017 at 9:27pm

आद कालीपद प्रसाद मंडलजी  हार्दिक बधाई स्वीकारें इस गजल के लिए 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 19, 2017 at 8:04pm

आ सलीम रज़ा रेवा साहिब ,आदाब , ग़ज़ल पर शिरकत करने और हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 19, 2017 at 8:01pm

आदरणीय तस्दीक अहमद साहिब , आदाब  आपने मेरा काम आसान कर दिया | पता नही" नूर " शब्द मेरे दिमाग में आया क्यों नहीं | आपके सुझाव पर विचार करता हूँ | इस्लाह के लिए तहे दिल से शुक्रिया | आदाब 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 19, 2017 at 7:55pm

आदरणीय समीर कबीर साहिब , आदाब ,ग़ज़ल को गहराई से विश्लेषण करने और रचनात्मक सुझाव देने के लिए तहेदिल से शुक्रिया | वैसे मतले में मुझे भी संदेह था पर उपयुक्त शब्द नहीं मिल रहा था | फिर कोशिश करता हूँ | आदाब 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 19, 2017 at 7:46pm

आ मोहम्मद आरिफ जी आदाब  ग़ज़ल पर शिरकत करने और हौसला अफजाई करने लिए तहे दिल से शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service