आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
हार्दिक आभार आपका आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्र जी
हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक जी
हार्दिक आभार आदरणीया रश्मि तारिका जी
मैं समझनें की कोशिश कर रहा हूँ कि विषय को किस तरह परिभाषित कर रही है यह कथा? आप बहुत ही गूढ़ लिख जाती हैं कभी-कभी। इतना तो विश्वास है कि अवश्य ही यह कोई गूढ़ बात कह रही होगी। कुछ समय लेकर पुनः प्रस्तुत होता हूँ।
अक्सर घरों में अखबार पर पुरुषों का ही प्रथम अधिकार रहता है , खुद पढ़कर वो अक्सर पेपर को बेतरतीब यहाँ वहाँ रख भी देते हैं कि अब कौन पढने वाला है , कथा में रिज़वी साहब ने उस पर तेल सोख दिया I उनकी पत्नी का इस बात के लिए फिक्रमंद होना कि बहू अब कैसे पढेगी और रिज़वी साहब का तुरंत दूसरा पेपर लेने जाना, बदलाव की नई रौशनी की तरफ इशारा है I आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा रहेगी सुधीर भाई
हम्म ! अब समझ आया .. सामान्य पाठक हूँ .. शायद इसलिए नही समझ पाया. क्षमा सहित _/\_
हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी
जीवन के हल्के-फुल्के पलों से सुसज्जित प्रदत्त विषय को सार्थक करती इस उम्दा प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. प्रतिभा जी. कुछ बातें :
1. //रिजवी साहब की दाढ़ी//
2. //सर सोफे पर पीछे टिका दिया उन्होंने I// "सर सोफे पर टिका दिया उन्होंने I//
3. कई जगहों पर अर्धविराम का अनावश्यक प्रयोग है.
4. //उर्दू के अखबार// और //हिंदी का पेपर// शायद केवल अख़बार कहने से भी काम चल सकता है.
सादर.
1] दाढ़ी के आंखिरी बाल तक // बस एक संतुष्टि की अतिश्योक्ति का भाव दर्शाने की कोशिश है ,
2] सोफे की back से तात्पर्य है ...भजिये खाकर आराम का भाव
3]] हाँ शायद
4] दोनों भाषाओँ के पेपर हैं , कथा के मर्म से सीधे जुड़ता हुआ तथ्य है ये
आपका आभार महेंद्र जी कथा पर आकर सार्थक टिप्पनी के लिए
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |