For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम ...

अनुपम आभास की
अदृश्य शक्ति का
चिर जीवित
अहसास है
प्रेम

मौन बंधनों से
उन्मुक्त उन्माद की
अनबुझ प्यास है
प्रेम

संवादहीन शब्दों की
अव्यक्त अभिव्यक्ति
का असीमित
उल्लास है
प्रेम

निःशब्द शब्दों को
भावों की लहरों पर
मुखरित करने का
आधार है
प्रेम

अपूर्णता को
पूर्णता में परिवर्तित कर
अंतस को
मधु शृंगार से सृजित कर
प्रेमासक्ति की अभिव्यक्ति का
अनुपम उपहार है
प्रेम

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 612

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2017 at 9:36pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan साहिब सृजन को अपनी मधुर प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार। 

Comment by narendrasinh chauhan on July 8, 2017 at 4:26pm

बहोत  भाव पूर्ण रचना 

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2017 at 1:53pm

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी सृजन के भावों को आत्मीय स्नेह से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2017 at 1:52pm

आदरणीय विजय निकोर साहिब सृजन को अपनी मधुर प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2017 at 1:51pm

आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब , सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 7, 2017 at 3:09pm

प्रेम के सूक्ष्म भावों को थाम कर बहुत खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है आपने इस प्रस्तुति में आ० सुशील जी 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by vijay nikore on July 7, 2017 at 12:37pm

प्रेम सूक्षम है, और किसी भी सूक्षम को अनुभव कर सकते हैं, परन्तु उसे परिभाषित करना कठिन है। आपने इस कठिन कार्य को बहुत अच्छा निभाया है, आदरणीय सुशील जी।

Comment by Samar kabeer on July 5, 2017 at 6:15pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,प्रेम को अलग अलग तरीक़े से बहुत ख़ूबी के साथ पेश किया है आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sushil Sarna on July 5, 2017 at 1:59pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार।

Comment by Mohammed Arif on July 5, 2017 at 11:48am
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,प्रेम की बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति ।प्रेम को जितना परिभाषित किया जाय कम है । प्रेम अपरिभाषित छंद है । प्रेम आत्मा का दोहा है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
4 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service