For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीपक सा उजियार करोगे-रामबली गुप्ता

ग़ज़ल
22 22 22 22

जब जलना स्वीकार करोगे
दीपक-सा उजियार करोगे

स्नेह-समर्पण शस्त्र अगर हों
हर दिल पर अधिकार करोगे

दुर्ग दिलों के जीत सके तो
जय सारा संसार करोगे

दिल में दर्प बढ़ा दानव-सा
उसका कब संहार करोगे

राष्ट्र-हितों पर मिट न सके तो
जीवन यह बेकार करोगे

दिल पर रखकर हाथ बता दो
"हमसे कितना प्यार करोगे"

दृष्टि रखोगे अर्जुन-सी तो
लक्ष्य पे ही हर वार करोगे

उर-अँधियार मिटा पाये तो
खुद का साक्षात्कार करोगे

हिल जाएगा भूधर का तल
चोट जो बारम्बार करोगे

लुट जाएगा चैन 'बली' गर
नैन किसी से चार करोगे

मौलिक एवं अप्रकाशित
रामबली गुप्ता

Views: 954

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on March 5, 2017 at 1:50am
हृदय से आभार आद0 भाई मिथिलेश जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 1, 2017 at 3:25pm

आदरणीय रामबली जी, बहुत शानदार ग़ज़ल कही है आपने. दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर 

Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:49pm
आदरणीय गुरुदेव आपकी प्रशंसा से रचनाकर्म को बल मिलता है। आशीष यूँ ही बनाये रखें। हृदय से आभार।सादर
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:47pm
आदरणीय विन्ध्येश्वरी प्रसाद जी आपका अतिशय आभार
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:46pm
भाई बृजेश नीरज जी सादर आभार आपका
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:45pm
आदरणीय लक्षमन रामानुज जी आपकी प्रशंसा से मन आह्लादित है। लिखना सार्थक हुआ। प्रतिक्रिया एवं प्रोत्साहन के लिए हृदयतल से आभार आदरणीय।सादर
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:42pm
आदरणीय सुशील सरना जी प्रतिक्रिया एवं प्रशंसा के लिए हृदयतल से आभार
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:41pm
आदरणीय प्रतिक्रिया एवं प्रशंसा के लिए हृदयतल से आभार
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:40pm
आदरणीय बृजेश कुमार जी हृदय से आभार
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:39pm
सराहना एवं प्रोत्साहन के लिए हृदय से आभार आदरणीय आरिफ़ साहब।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं हम कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२जब जिये हैं दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं हम कान देते आपके निर्देश हैं…See More
2 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service