For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल(चिल्लाना क्या सन्नाटा है...)मच रही चिल्ल-पों पर

22222222
चिल्लाना क्या सन्नाटा है,
कह तो क्यूँ रे हकलाता है?1

जोड़ रहा तू कागज कितने
मुँह पर आज पड़ा चांटा है।2

लूट लिया जिसका धन तूने
फिर से काम वही आया है।3

चोर-सिपाही खेल, बता अब
किसके हित अर्थ जुटाया है?4

हँस-हँस कर का मैल बटोरा,
रोने का मौसम आया है।5

लूट लिये कितनों के सपने
अपना जाकर अब टूटा है।6

उछला-कूदा ढ़ेर जगह,पर
गड़ता जाता अब खूँटा है।7
मौलिक व अप्रकाशित @मनन

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 6, 2016 at 7:40am

अच्छी गज़ल कही है। बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on December 6, 2016 at 3:53am
जनाब मनन कुमार जी, अच्छी गजल हुयी है। दाद के साथ बधाई कबूल फरमायें
Comment by Manan Kumar singh on December 5, 2016 at 8:12pm
आभार आदरणीय मिथिलेश जी।
Comment by Manan Kumar singh on December 5, 2016 at 8:10pm
आपका आभार आदरणीय सुनील जी।
Comment by Manan Kumar singh on December 5, 2016 at 8:09pm
आपका आभार आदरणीय महेंद्र जी
Comment by Mahendra Kumar on December 5, 2016 at 8:06pm
अच्छी ग़ज़ल हुई आदणीय मनन जी। हार्दिक बधाई। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 4, 2016 at 10:44pm

आदरणीय मनन जी, इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 4, 2016 at 4:55pm
समसामयिक ग़ज़ल के लिए मुबारक आपको।
Comment by Manan Kumar singh on December 4, 2016 at 3:28pm
हौसला आफजाई का शुक्रिया मोहतरम समर साहिब।
Comment by Samar kabeer on December 4, 2016 at 2:40pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल है, मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया दोहा छंद की प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। इस दोहे…"
2 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"वक्त / समय बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ ।। आदरणीय सुशील सरना…"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, मंहगाई पर व्यंग्य करता बढ़िया कुंडलियां छंद हुआ है। हार्दिक बधाई स्वीकार…"
10 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई। सादर"
13 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। क्या कुंडलियां छंद में दो दोहे…"
14 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी हार्दिक धन्यवाद आपका।सादर।"
25 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service