For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ममता और मौत की गलियाँ (लघु कथा ) जानकी बिष्ट वही

लगा कई दिन से छाए कुहासे बादल अपने सारे बन्धन तोड़ कर बरसने लगे।बिजली की कौंध और गरज़ से धरती काँपने लगी।ऊपर जंगल से बहते बरसाती नाले का उफान और शोर किसी के भी दिल को दहलाने के लिए काफी था।

शकुंतला ने अपनी पक्की छत वाले मकान में रज़ाई को कसकर लपेटते हुए सोचा - छोटा बेटा बिशनु अपनी घरवाली और बच्चों के साथ अपने कच्चे छप्पर में ठीक तो होगा ? बाप की जरा सी बात पर घर छोड़ अलग झोपड़ी बना कर रहने लगा। दिल कसकता है।उनके लिए।नींद आँखों से कोसो दूर थी।

" काहे करवट बदल रही हो ? लगता है आज तो प्रलय आ जायेगी।" धनीराम ने पत्नी को टोका।

माँ का मन, समझाये भी तो कैसे? नहीं माना तो बरसाती ओढ़ अँधेरे में कड़कती बिजली की रोशनी में भीगती हुई छप्पर तक पहुंची।अंदर का नज़ारा देख, चिंता की आग क्षण भर में बुझ गई और मन का सारा ममत्व पल भर में बिला गया। गुस्से की तेज़ लहर शकुन्तला के तन-बदन में फ़ैल गई।
बिशनु और रज्जो ज़मीन में हाथ पांव फैलाये चित् राजसी ख़र्राटे ले रहे थे।छप्पर जगह -जगह से टपक रहा था दोनों मासूम बच्चे सहमे से एक कोने में दुबके थे।

"नालायक कहीं के, दिन भर हाड़ तोड़ मेहनत करते हैं और रात होते ही शराब पीकर जो रास्ते मौत के मुँह में ले जाते हैं उनमे जीने की सोचते हैं।" बड़बड़ाती शकुंतला ने दोनों बच्चों को बाँहों में समेट घर की राह ली।


जानकी बिष्ट वाही
मौलिक एवम् अप्रकाशित
नॉएडा उत्तर प्रदेश

Views: 591

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nita Kasar on July 12, 2016 at 9:08pm
माँ बच्चे कितने बड़े हो जाये उनकी परवाह करती है क्योंकि वह माँ जो है,बधाई आपके लिये आद०जानकी वाही जी ।
Comment by pratibha pande on July 12, 2016 at 7:54pm

' पुत्र कुपुत्र हो सकता है  माता कुमाता नहीं  होती '  बहुत अच्छे भावों को समेटे ताना बाना बुना है आपने इस रचना का ,..हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको इस रचना पर आदरणीय जानकी जी 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 12, 2016 at 5:21pm
दो माँओं की परिस्थितियों का बख़ूबी चित्रण करती हुई नशे के कारण व परिणाम पर रोशनी डालती बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीया जानकी बिष्ट वाही जी।
Comment by Sushil Sarna on July 12, 2016 at 4:10pm

वाह आदरणीया जानकी बिष्ट वाही  जी यथार्थ को जताती इस संदेशप्रद लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by Rahila on July 12, 2016 at 1:00pm

वाह..वाह,प्रिय दीदी क्या जानदार प्रस्तुति दी आपने ,माँ तो बस माँ है।बहुत बधाई इस सार्थक रचना के लिए ।सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2016 at 11:13am

बहुत बेहतरीन लघु कथा माँ की ममता को शब्दिक करती हुई | माँ बच्चों बिन जी नहीं पाती दिन रत उनकी फिक्र करती है मगर बच्चे ?

बहुत बहुत बधाई जानकी जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"धुंध गहरी और खाई दिख रही है  अब तरक्की में तबाही दिख रही है। बोझ से घायल हुआ सीना जमीं…"
25 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
23 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
23 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service