For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( आसरा ढूंढने किधर जाए )

2122--1212--22

उनकी नज़रों से जो उतर जाए |

आसरा ढूंढ़ने  किधर  जाए |

कर लिया है यक़ीन उनपे मगर

डर  है यह भी न वो मुकर जाए |

जो ज़ुबां कर न  पाए उल्फ़त में

आँख चुप चाप उसको कर जाए |

भीड़ आए नज़र क़ियामत सी

शोख़ उनकी नज़र जिधर जाए |

मिल गया जब खिताबे दीवाना

उनके कूचे से कौन घर जाए |

जिसके घर का पता नहीं कोई

कैसे उस तक कोई ख़बर जाए |

दिन में तस्दीक़ आए रात नज़र

ज़ुल्फ़ उनकी अगर बिखर जाए |

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 567

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 25, 2016 at 10:03pm

 
मोहतरमा राजेश  कुमारी साहिबा   , ग़ज़ल में इतनी गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत , शुक्रिया ,महरबानी । ग़ज़ल को वक़्त कम दे सका उस वजह से वादा शब्द नहीं ला सका । आपने सही लिखा है, मैंने यूँ तब्दील किया है । उसके वादे पे तो किया है यक़ीं ------डर मगर  है न वो मुकर जाए। --------शुक्रिया                               

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 25, 2016 at 9:51pm

मोहतरम जनाब गिरिराज ,साहिब  , ग़ज़ल में इतनी गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत , शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 25, 2016 at 9:51pm

मोहतरम जनाब रवि शुक्ल ,साहिब  , ग़ज़ल में इतनी गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत , शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Samar kabeer on April 25, 2016 at 9:28pm
"उसके वादे पे कर लिया है यकीं
डर यही है न वो मुकर जाए "

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 25, 2016 at 8:59pm

जो ज़ुबां कर न  पाए उल्फ़त में

आँख चुप चाप उसको कर जाए |---वाह्ह्ह्ह 

सुन्दर ग़ज़ल कही है आ० तस्दीक जी बस दुसरे शेर में बात स्पष्ट नहीं है 

उनके वादों पे कर लिया तो यकीं 

डर मगर है  न वो मुकर जाए ---अब देखिये शायद बात बनी 

इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए दिल से दाद कुबूलें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 25, 2016 at 6:31pm

आदरणीय तस्दीक भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने , दिली बधाइयाँ आपको ।

Comment by Ravi Shukla on April 25, 2016 at 2:02pm

आदरणीय तसदीक अहमद जी आपकी गजल पढ़ी तरही मुशायरे 70 केे काफिये और रदीफ पर इस छोटी बह्र में भी आप अच्‍छे ,खयाल लेकर आये है

जो ज़ुबां कर न  पाए उल्फ़त में

आँख चुप चाप उसको कर जाए | बहुत खूब 

मोवाईल से कल दाद ओ मुबारक  केे लिये कोश्‍ािश की थी पर हैंंग हो गया तो आज स्‍वीकार करें । सादर । 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 24, 2016 at 7:18pm

मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया , महरबानी
दूसरे शेर में लफ्ज़ वादा नहीं  आ पाया  है। .......आप बिलकुल सही कह रहे हैं ,शुक्रिया

Comment by Samar kabeer on April 24, 2016 at 6:06pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,'मजरूह'की ज़मीन में अच्छे शैर निकाले हैं आपने,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
दूसरे शैर में बात साफ़ नहीं हो पाई है देखिएगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
4 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
22 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service