For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 65 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-66

विषय - "रास्ता/मार्ग"

आयोजन की अवधि- 09 अप्रैल 2016, दिन शनिवार से 10 अप्रैल 2016दिन रविवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र एक ही प्रविष्टि दे सकेंगे.  
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 09 अप्रैल 2016, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर 
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 10717

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय डॉ. विजय शंकर साहब सादर, आपको प्रस्तुत कुण्डलिया छंद अच्छे लगे मुझे प्रसन्नता हुई.बहुत-बहुत आभार. सादर.

जाने कितने लच्छ हैं जीवन है  जंजाल

  सद्कर्मों की राह चल कहता है कलिकाल

वाह वाह ,अशोक कुमार साहिब ,बहुत ही अच्छी मंज़र कशी हुई है | प्रदत्त विषय को सार्थक करतीं तीनों कुंडलियों के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

आदरणीय तस्दीक एहमद खान साहब सादर, आपको तीनों छंद  प्रदत्त विषय अनुरूप लगे मेरा उत्साहवर्धन हुआ. बहुत-बहुत आभार.सादर.

आदरणीय,
कुंडलियां की लय में इतनी सुन्दर रचना तो बस आपकी ही लेखनी से संभव है...हार्दिक बधाई...

आदरणीय ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र जी सादर, छन्द पसंद कर आपने लेखनी को जो मान दिया है उसके लिए मैं आपका दिल से आभारी हूँ. सादर.

तीनो छंद बेहतरीन!विषय को आत्मसात करते हुए।सादर हार्दिक बधाई आदरणीय अशोक रक्ताले सर।

भाई सतविन्द्र कुमार जी सादर,  आपको प्रस्तुत छंद अच्छे लगे मेरी सृजन सफल हुआ. आपका बहुत-बहुत आभार. सादर.

आ0 भाई अशोक जी प्रदत्त विषय पर सार्थक कुंडलियां हुई हैं । हार्दिक बधाई ।

भाई लक्ष्मण धामी जी सादर आपको छंद प्रदत्त विषय पर सार्थक लगे.मेरी रचनाओं को मान मिला.आपका हृदयातल से आभार.सादर.

आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी तीनों कुण्डलिया कथ्य और विन्यास ही नहीं बल्कि शैली से भी बहुत ही उन्नत बन पड़ी हैं. रचनाओं की अंतर्दशा जितनी प्रभावी है, उतना ही इनका कलेवर चकित करता हुआ है.

खुशियाँ कई हजार , और थोड़े से गम हों,
आपस का हो प्यार, फासले कुछ कम-कम हों,
रिश्तों का हो मान, ज्ञान हर इक बंधन का,
तब ही हो साकार, स्वप्न मानव जीवन का

 

उपर्युक्त पंक्तियों ने मुग्ध कर दिया ! ज़वाब नही आदरणीय !
इसी तरह,

तब ही होंगे पूर्ण , लक्ष्य जो तुमने ठाने,
रहने दो कुछ मार्ग, रहें फिरभी अनजाने..

 

उपर्युक्त द्विपदी के दूसरी पंक्ति में रहने दो कुछ मार्ग, रहें फिरभी अनजाने   के माद्यम से जिस तरह से ’रहस्य’ को स्वर मिला है वह भारतीय जीवन शैली के कर्मवाद की सटीक व्याख्या हैं. यह कमाल करते हुए आप अत्यंत वैचारिकता और परम्परा की अति उच्च स्थिति पर जा पहुँचते हैं.

 
इन अत्यंत गहन अनुभूतियों के लिए हृदयतल से बधाइयाँ और सुभकामनाएँ आदरणीय.


एक बात :
जाने कितने लक्ष्य हैं , जीवन है जंजाल |
सद्कर्मों की राह चल, कहता है कलिकाल ||

सद्कर्मों को यदि  निज कर्मों को कर दिया जाय तो ’कलिकाल’ की संज्ञा तथा दशा दोनों संतुष्ट हो जाये. कलिकाल तो सभी सात्विकता ही नहीं, राजसिक भाव तक के विरुद्ध का काल है. लेकिन मानव समुदाय कर्मफल को तो जीना है ही. अतः वह निजकर्म ही जिये.
विश्वास है, मेरे इस सुझाव से आपने जिस ऊँचाई पर जाकर प्रस्तुत रचनाएँ की हैं उनको सही आयाम मिलेगा.
सादर

जी ! गुरुवर का सुझाव उत्तम और सहर्ष मान्य है. सत्य कहा है सद्कर्मों  से कहने से यह एक ही कोण पर विचार किया गया प्रतीत होता है. 'निज कर्मों' एक अच्छा सुझाव है. आपका यह इंगित महत्वपूर्ण है और सदैव रचनाकर्म में सहायक भी. सादर.

जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,विषय को सार्थक करती इन कुंडलियों के लिये दिल से बधाई स्वीकार करें ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
19 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
21 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
22 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service