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वाह ! कमाल लिखा आपने। कितनी बड़ी बात इतने सहज और सरल तरीके से लिख दी। हर पाठक के दिल तक पहुँचने वाली रचना। विशिष्ट यह कि आपका कथ्य, कथानक और शिल्प सब कुछ सहज जरूर है मगर बिलकुल नहीं। बधाई प्रदीप जी।
प्रदीप जी मेरी टिप्पणी की अंतिम पंक्ति कृपया ऐसे पढ़ें :
विशिष्ट यह कि आपका कथ्य, कथानक और शिल्प सब कुछ सहज जरूर है मगर साधारण बिलकुल नहीं। बधाई प्रदीप जी।
आदरणीय प्रदीप जी , इस प्रयास पर उपस्थित होकर हौसलाफजाई के लिए आपका धन्यवाद , इस विधा में नया हूँ , ओबीओ मंच में किस प्रकार लिखा जाये इस तकनीक का भी इतना जानकार नहीं हूँ , आप जैसे गुनी जनों द्वारा आगे भी उत्साहवर्धन मिलेगा ,ऐसी आशा करता हूँ पुनः अभिनन्दन
जनाब प्रदीप कुमार जी ,हृदय को छूती अच्छी रचना के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आपका आभार उत्साहवर्धन के लिए
वाह वाह ! अति भावपूर्ण लघुकथा हुई है आ० प्रदीप कुमार पाण्डेय जीI स्वर्गवासी पत्नी की फोटो देखकर उनका बुदबुदाना "चल दीं ना सारे रंग अपने साथ लेकर " दिल चीर गयाI प्रदत्त विषय से पूर्णतय: न्याय करती इस ह्रदयस्पर्शी लघुकथा हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करेंI
हार्दिक बधाई आदरणीय प्रदीप कुमार पांडे जी!बेहद मार्मिक और हृदय स्पर्शी प्रस्तुति!
आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी
आपको प्रयास पसंद आया ,आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय योगराज प्रभाकर जी
आपने तो नम कर दिया......बहुत ही भावुक और सीधे दिल में उतरने वाली लघुकथा. नमन आपकी कलम को आदरणीय प्रदीप जी.
आपका हार्दिक आभार मिथिलेश वामनकर जी
आभार
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