For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ए सी केब से उतर कर कैमरा,जूम लैंस,बाईनाकुलर सम्हाल भरतपुर बर्ड सेंचुरी में दस दिन बिताने का प्रोग्राम..
"यह क्या भाई सा ? कोई चहल पहल नहीं, बंद है क्या?"
"नहीं तो लोग आते है,दो घंटे में देख कर चले जाते हैं।"
"दो घंटे में तो अंदर झील तक ही नहीं पहुंच पायेंगे।"
"कहां की झील,सब सूखा पड़ा है।"
"यें... कहाँ गए वे दरख्त, घास के हरे भरे मैदान, झील पानी और कलरव।"
"सब झुलस गऐ, सूख गऐ, पिछली साल जो पंछी बचे थे, गर्मी में पेड़ों से पके फलों की तरह टपक गऐ, साइबेरियन क्रेन तो कई सालों से आ ही नहीं रही हैं।
जानवरों के नाम निशान तक नहीं बचे।"
"अब तो एक हाल में फोटो और वीडियो तथा चिड़ियों के स्पेसीमेन ही बचे हैं सेंचुरी के नाम पर।"
पच्चीस साल पहले ही तो आया था पापा के साथ तब मेरे पास कैमरा नहीं था,कितना मचला था,आज कैमरा लेकर आया हूँ,पर....क्या हो गया इतने सालों में। ओह मैं चल नहीं पा रहा हूँ,गर्मी के कारण पांव लड़खड़ा रहे हैं ,सांसें तेज चल रही हैं।
"उठो क्या हो गया,इस ठंड में पसीने से भीग गये हो,
कोई बुरा सपना देखा क्या?"
ऐ तपन बरदाश्त नहीं हो पायेगी ,जल जायेगा हमारा मुन्ना। अब हम हर साल कम से कम पांच पेड़ तो जरूर लगायेंगे।

.

पवन जैन,जबलपुर।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 595

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Jain on January 16, 2016 at 4:29pm

आदरणीय फूल सिंह जी धन्यवाद।

Comment by PHOOL SINGH on January 15, 2016 at 10:09am

बहुत ही सुन्दर, आप बहुत बहुत बधाई

Comment by Pawan Jain on January 13, 2016 at 9:18pm

आदरणीय लडीवाला सा0 बहुत बहुत आभार कथा की नब्ज पकडने हेतु।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 13, 2016 at 11:27am

ग्लोबल वार्मिंग का असर सब जगह पडा  है  मगर जहां पेड़ पौधे कट गए वहाँ तो स्थिथि बेहद बिगड़ गई | ऐसे में पेड़ लगाने का 

सुंदर सन्देश देती रचनाओं का विशेष महत्व है | बहुत बहुत बधाई 

Comment by Pawan Jain on January 13, 2016 at 9:26am

आदरणीय समर कवीर सा0 बहुत बहुत आभार ।
आदरणीय शहजाद जी कुछ प्रयास कर रहा हूँ जिस और सर जी ने इशारा किया था उस पर कुछ कहने का।मंच पर नया हूँ,आप लोगों का मार्गदर्शन अपेक्षित है।
आदरणीय राहिला जी तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Rahila on January 11, 2016 at 10:13pm
बहुत अच्छा संदेश देती रचना । बहुत बधाई आपको आदरणीय पवन सर जी! सादर नमन
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 11, 2016 at 9:01pm
बहुत महत्वपूर्ण भावन व संदेश वाहक बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय पवन जैन जी।
Comment by Samar kabeer on January 11, 2016 at 8:41pm
जनाब पवन जैन साहिब आदाब,इस सन्देश वाहक लघुकथा के लिये बधाई स्वीकार करें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Sep 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service