Tags:
Replies are closed for this discussion.
रचना को ग़ज़ल कहने के लिये कुछ मूल नियमों का पालन आवश्यक है। नेमीचन्द जी की रचनाओं में तसव्वुर तो नयापन लिये होता है, शब्द चयन भी अच्छा रहता है लेकिन ग़ज़ल से भटकाव रहता है तो टिप्पणी देने में मुझे संकोच होता है।
सलिल जी ने इशारे में बात कह दी। वही बात भाई अम्बरीश ने खुलकर कह दी। सलिल जी ने एक मिसरा वज़्न में लाकर उदाहरण दिया है और भाई अम्बरीश ने सभी शेर में सुधार समझा दिया।
बस थोड़ा सी मेहनत और करनी होती है अश'आर को वज़्न में लाने के लिये।
नेमी चन्द जी में संभावनाएं अच्छी हैं, बस मेहनत और चाहिये अन्यथा एक अच्छी भाव प्रस्तुति भी आकर्षण खो बैठती है।
कई सदियों से जीना और मर जाना भी होता था।
हरिक आबाद घर में इक वीराना भी होता था।।
अभी जाके मिला दिल को सुकूं औ ये नज़र आया।
दिले-बेजार को तुम बिन तो समझाना भी होता था।।
गुजारे दिन कहें कैसे गुज़र जाते थे वो लेकिन।
शबे तनहा नहीं थे हम ये सिरहाना भी होता था।।
भुलाये भी नहीं भूलें तुम्हारे बोल गजलों के ।
रमे आठों पहर रहते तो गिनवाना भी होता था ।।
जहाँ हो तुम रहो बनकर हमारी आँख का काजल।
बनूँ चन्दन तेरे माथे ये जतलाना भी होता था।।
मुक्तिका:
संजीव 'सलिल'
*
हर इक आबाद घर में एक वीराना भी होता था.
मिलें खुशियाँ या गम आबाद मयखाना भी होता था..
न थे तनहा कभी हम-तुम, नहीं थी गैर यह दुनिया.
जो अपने थे उन्हीं में कोई बेगाना भी होता था.
किया था कौल सच बोलेंगे पर मालूम था हमको
चुपाना हो अगर बच्चा तो बहलाना भी होता था..
वरा सत-शिव का पथ, सुन्दर बनाने यह धरा शिव ने.
जो अमृत दे उसको ज़हर पाना भी होता था..
फ़ना वो दिन हुए जब तबस्सुम में कँवल खिलते थे.
'सलिल' होते रहे सदके औ' नजराना भी होता था..
शमा यादों की बिन पूछे भी अक्सर पूछती है यह
कहाँ है शख्स वो जो 'सलिल' परवाना भी होता था..
रहे जो जान के दुश्मन, किया जीना सदा मुश्किल.
अचम्भा है उन्हीं से 'सलिल' याराना भी होता था..
**************
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |