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प्रतीकों के माध्यम से बेहतरीन तरीके से अपनी बात कहती हुई सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें आ. Sheikh Shahzad Usmani जी ! सादर
आ० शेख शहजाद उस्मानी जी / आपकी यह रचना अच्छी है पर नवांकुर जब तना बन गया तो वह नवांकुर नहीं रहा पादप हो गया I कथा में में एक वाक्य अंत में जोड़ना और अच्छा रहता तथा विषय भी फलीभूत होता यदि अंत में ऐसा होता - यह सुनते ही नवांकुर(नव पादप ) की निराशा चंट गयी और विकास की आकांक्षा जाग उठी I सुन्दर सन्देश देती कथा को जरा सा संशोधन इसे उत्कृष्ट रचना बना देगा , इसमें संदेह नहीं .
जनाब शेख शहज़ाद साहिब , आप का अंदाज़े बयान बहुत प्यारा लगा , दिल को छू लेने वाली कामयाब लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई
प्रतीकों के माध्यम से पर्यावरण की उपेक्षा मानव स्वार्थ में जंगलों ,वृक्षों का उन्मूलन वांछित खनन आदि बिन्दुओं पर प्रकाश डाला है
जब वातावरण बड़ों के लिए ही अनुकूल नहीं रहेगा तो आने वाली नस्ल को हम क्या उत्साहित कर पायेंगे क्या जीवन दे पायेंगे बहुत से सवालों को खड़ी करती बढ़िया प्रस्तुति हार्दिक बधाई आ० शेख़ उस्मानी जी .
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