For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खास रिश्ते का स्वप्न / लघुकथा

" ये क्या सुना मैने , तुम शादी तोड़ रही हो ? "

" सही सुना तुमने । मैने सोचा था कि ये शादी मुझे खुशी देगी । "

" हाँ ,देनी ही चाहिए थी ,तुमने घरवालों के मर्ज़ी के खिलाफ़ , अपने पसंद से जो की थी ! "

" उन दिनों हम एक दुसरे के लिए खास थे , लेकिन आज ....! "

" उन दिनों से ... ! , क्या मतलब है तुम्हारा , और आज क्या है ? "

" उनका सॉफ्स्टिकेटिड न होना ,  अर्थिनेस और सेंस ऑफ़ ह्यूमर भी बहुत खलता है।  आज हम दोनों एक दुसरे के लिये बेहद आम है । "

" ऐसा क्यों ? " उस व्याह की उमंग और उत्तेजनााकी इस परिणति से वह चकित थी ।

"क्योंकि , दो घंटे रोज वाली पार्क की दोस्ती , पति के रिश्ते में हर दिन औंधे- मुँह गिरता है । "

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 563

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on December 4, 2015 at 11:35pm

हृदयतल से आभार आपका आदरणीया प्रतिभा जी इतनी सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु।

Comment by pratibha pande on October 22, 2015 at 11:12am

प्रेम विवाह में अक्सर ये होता  है किजिसको इतना जानते और मानते थे वो अचानक अजनबी हो जाता है ,  कथ्य और शिल्प दोनों कसावट लिए हैं , बधाई आपको इस रचना पर आदरणीया 

Comment by kanta roy on October 22, 2015 at 10:10am
रचनाएँ सफल तभी होती है जब सिद्धहस्त के हाथों सार्थक प्रतिक्रिया मिले , अन्यथा गुमराह होने के लिए बाहर हवा में मिलावट बहुत है । यही अंतर है किसी अन्य साईट और ओबीओ में । सादर
Comment by kanta roy on October 22, 2015 at 10:06am
लेखन संदर्भ में एक नये सिरे से चिंतन को मजबूर करती आपकी यह सार्थक मार्गदर्शन युक्त प्रतिक्रिया ही इस मंच के सार्थक होने को प्रमाणित करती है । आपकी ये चंद पंक्तियों में जो कि
// क्या लघुकथा किसी कहानी का एक अंश होती है ?//

//ख़ास क्या, जिसके लिए यह सृजन आकार लिया है. //
यही दो प्रश्न आपके द्वारा करना मेरे अगले सृजन को नयी दृष्टिकोण के तहत ही नया आयाम देने में साबित होगा । मै स्वीकार करती हूँ यहाँ कि इस लघुकथा में सर जी के अनुसार " कथ्य को समुचित तथ्य का कुशन प्राप्त ना हो सका । सादर नमन आपको आदरणीय बागी जी

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 22, 2015 at 8:39am

क्या लघुकथा किसी कहानी का एक अंश होती है ? नायिका प्रेम विवाह करती है और किसी कारण वश वह अलग होना चाहती है, यह प्रकरण विवाह के किसी भी विधि में हो सकता है, तो ख़ास क्या, जिसके लिए यह सृजन आकार लिया है. 

स्पष्ट कहूँ तो मुझतक यह लघुकथा नहीं पहुँच सकी, सादर.

Comment by kanta roy on October 21, 2015 at 11:14pm

आभार आपको आदरणीया राहिला जी कथा पर मेरा मनोबल बढ़ने के लिए। 

Comment by kanta roy on October 21, 2015 at 11:13pm

आभार आपको आदरणीय शिज्जू शकूर जी कथा पसंदगी के लिए। 

Comment by Rahila on October 21, 2015 at 8:53pm
बहुत बेहतरीन रचना आदरणीया कांता दी!आपकी ये रचना जहां हक़ीकत बयान करती है वहीं पनपते नये रिश्तों के खोखलेपन की पोल भी खोलती है । बहुत बधाई आपको ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 21, 2015 at 8:14pm
आदरणीया कांताजी एक स्वप्न को खूब हकीकत की ज़मीन दी है आपने वाह बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
43 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
51 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
54 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
23 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service