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१ २ १ २ १ २ १ २ १ २ १ २ २ २
नही आये जो तुम बना लिए बहाना है |
हमें उमीद में तेरी शमाँ जलाना है |
हसीं लबों का मुस्कराना गुम गया तेरा,
हमें तलाश फिर वही उसे सजाना है |
अभी नई कहानी जिन्दगी लिखें तेरी,
ये फैसला करेंगे कब इसे सुनाना है |
चलो उसी से कोई बात अंधेरें की हो,
बता देगा कहाँ चिराग़ ये जलाना है |
ये खुदकशी नहीं लगे हुई कोई साजिस,
बहार जिंदगी, न मौत उस बुलाना है |

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 11, 2015 at 2:44pm

1212 -1212 -1212- 22 अरकान कुछ यूं  है तो 

नहीं वो आया पर बना लिया बहाना है 

हमें उमीद में तेरी शमाँ जलाना है 

अभी नई कहानी जिन्दगी लिखें अपनी,
ये फैसला करेंगे कब इसे सुनाना है |

Comment by ram shiromani pathak on September 10, 2015 at 11:33pm
मुझे लगता है आदरणीय पुनः तक़्दीय करने की आवश्यकता है।।।सादर
Comment by Samar kabeer on September 10, 2015 at 10:34pm
जनाब मोहन बेगोवाल जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2015 at 10:32pm
आदरणीय बेगोवाल सर मुझे तो अर्कान ही समझ नहीं आये

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