For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक लघुकथाकार जब अपने इर्द गिर्द घटित घटनाओं के नेपथ्य में विसंगतियों या असंवेदनशीलता को अंदर तक महसूस करता है तब लघुकथा लिखने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान वह उस घटना का हर संभव कोण से विश्लेषण करता है। किन्तु यह भी सत्य है की हर एक घटना लघुकथा में ढाले जाने योग्य नहीं होती। यहाँ स्मरण रखने योग्य बात यह है कि जिस घटना के पीछे कथा-तत्व छुपा हुआ नहीं होता, उससे खबर या रिपोर्ट तो बन सकती है, लघुकथा हरगिज़ नहीं। कोई घटना जब कथानक का रूप ले ले, ऐसे में लघुकथाकार का यह परम कर्यव्य हो जाता है कि वह इसकी गहराई तक जाये और कथानक को कथ्य और तथ्य की कसौटी पर तब तक परखता रहे जब तक एक लघुकथा की साफ़ साफ़ प्रतिच्छाया स्वयं उसके सामने प्रकट न हो जाए।
.
भावनाओं में बहकर तत्क्षण लिखी हुई लघुकथा एक अपक्व एवं अप्रौढ़ व्याख्यान से अधिक कुछ नहीं हो सकती। यहाँ तक कि कोई सत्य घटना पर आधारित रचना भी तब तक पूर्ण लघुकथा नहीं बन सकती, जब तक उसके पीछे के सच और तथ्यों से रचनाकार अनभिज्ञ रहता है। इसी अनभिज्ञता के कारण रचनाकार एक अपूर्ण लघुकथा लिख बैठता है, जो कभी भी चिरायु नहीं हो सकती। किसी घटना को ज्यों का त्यों लिख देना सपाट बयानी कहलाता है। एक गंभीर रचनाकार उस घटना को लघुकथा में ढालते हुए अपनी कल्पना और रचनाशीलता का पुट देता है, तब कही जाकर यह सपाट बयानी एक साहित्यिक कृति में परिवर्तित हो पाती है। 

Views: 7783

Replies to This Discussion

आदरणीय सर जैसा की आप जानते हैं की हम नवोदित लोग अपनी रचनाओं के प्रति अधिक मोहग्रस्त होते हैं।अपना लिखा सब कुछ सही लगता है,उसमे कमी नहीं ढूंढ पाते।आपने यह भी कहा है की की प्लॉट का चुनाव सावधानीपूर्वक करना चाहिए।पर हम अक्सर ये नही समझ पाते की जो कथानक हमने चुना है वो उपयुक्त है या नही।तो इसके लिए हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए....ये मैं जानना चाहती हूँ।क्या अभ्यास ही एकमात्र उपाय है या कुछ और भी ?

इसका एक कारण अभ्यास तो आपने स्वयं ही बता दिया आ० ज्योत्सना जी, एक और कारण है अध्ययन। सतत अभ्यास और अध्ययन से सम्बंधित विधा से जुडी बहुत सी बातों का स्वयं ही पता चल जाता है। बहरहाल, किसी घटना को देखने, सुनने अथवा पढ़ने के बाद एक कथानक (प्लाट) अक्सर एक जागरूक लघुकथाकार के दिमाग में खुद-ब-खुद एक धुंधला सा खाका बनकर उभर आया करता है। लेकिन यह कथानक ऐसा होना चाहिए जिस की बुनियाद पर एक ऐसी लघु गद्य रचना (अर्थात लघुकथा) कही जा सके जो कथा तत्व से युक्त भी हो, सार्थक, विचारोत्तेजक तथा संदेशपरक भी। कथानक के चुनाव के बाद अब महत्वपूर्ण बात यह हो जाती है कि उस प्लाट पर आप भवन किस प्रकार का निर्मित करते हैं। यह बात मैं विभिन्न समूहों में बहुत दफा निवेदित कर चुका हूँ कि लघुकथा लिखते समय एक रचनाकार को मुख्यत: ३ बातों का ध्यान रखना चाहिए:

.

१. क्या लिखना है (अर्थात लघुकथा का कथानक)
२. क्यों लिखना है (अर्थात लघुकथा का उद्देश्य अथवा सन्देश)
३. कैसे लिखना है (अर्थात शिल्प शैली)

.

इन तीनो में से यदि एक बिंदु भी उपेक्षित रह गया तो रचना बहुत जल्द दम तोड़ देगी।

बिलकुल सही कह रहे है आप सर जी , इन तीन बिंदु में से एक का छूट जाना ही कथा को अक्सर कमजोर कर जाता है । आपकी हर बात अक्षरशः आत्मसात करने की जरूरत है ।

आदरणीय महोदय जी 

सादर अभिवादन . 

बहुत बड़े उत्तर दायित्व के  निर्वहनका बीड़ा आपने उठाया है . यद्दपि मैं सहित्य के क्षेत्र में शून्य हूँ , प्रयास रहेगा खुद भी सीखूं और अच्छा वातावरण देने में सहयोग करूँ . 

आप सब का स्नेह ही मुझे साथ चलने को प्रेरित करता है . 

आज इतना ही . 

जय हो मंगल मय हो 

//प्रयास रहेगा खुद भी सीखूं और अच्छा वातावरण देने में सहयोग करूँ.//

आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, यह मंच आपसे सदैव इस सहयोग की अपेक्षा करता है, जय हो. 

लघुकथा विधा पर कक्षा शुरू करने के लिए आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर जी व ओबीओ की समस्‍त प्रबंधन टीम का धन्‍यवाद । आशा है कि यह कक्षा न केवल नवांकुरों बल्‍िक पुराने लिखने वालों के लिए भी लाभदायक होगी।

मेरा एक प्रश्‍न है कि ये कैसे पहचाना जाए कि किसी घटना के पीछे 'कथा-तत्‍व' छुपा है अथवा नहीं ? कृप्‍या 'कथा-तत्‍व' पर भी प्रकाश डालें ।

सादर ।

भाई रवि जी। किसी घटना के पीछे कथा तत्व छुपा हुआ है या नहीं, इसका यूँ तो कोई निश्चित सूत्र नहीं है। यह बात अभ्यास, अध्ययन और अनुभव पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए कोई पौधा देश के किस हिस्से मैं अथवा कैसी मिटटी में सफलता पूर्वक लगाया जा सकता है, इसके लिए तो अध्ययन और अनुभव के इलावा और कोई चारा है क्या? समाचार अथवा छिटपुट सामयिक मुद्दे अक्सर कथा तत्व से विहीन पाये जाते है।

.

कथा तत्व (narrative element) वह आधारभूत तत्व जिसके समावेश अथवा उपस्थिति के बगैर से कोई गद्य रचना कहानी जैसी लगती है। उदाहरण देखें:

//मुंबई शहर, शाम का समय, समुन्दर का कनारा, ठंडी हवा //
.
अब आप स्वयं बताएं कि यह कथा है या कि आँखों देखा हाल ? अब इसको यूँ लिखकर देखें :

.

//शाम का समय था, शाम के समय समुद्र के किनारे ठंडी हवा चल रही थी।//

कुछ अंतर लगा ?

बहुत ही सटीक तरीके से आपने कथा तत्व के विशेष नजरिए को समझाया आपने । कुछ चीजें तो हम अपनी मन मंथन से ही समझ सकते है । तकनीक तो बताया जा सकता है लेकिन पलों में से तत्वों को खींचना तो स्वंय की ही अनुभूति काम करेगी । सादर नमन

आदरणीय सर,

मेरे दिमाग में भी एक प्रश्न आ रहा है जैसे,

"रिमझिम बारिश के खुशनुमा मौसम में टहलते हुए मदन अपने घर के नीचे खड़ा था अचानक सामने एक कार आ कर रुकी, कार के अंदर से किसी स्त्री की घुटी हुई चीख सुनते ही मदन तेज़ी से पलट कर घर के अंदर गया और दरवाज़ा बंद कर दिया"

सर, क्या इसमें उचित कथा तत्व है अथवा यह केवल एक सोशल मीडिया का स्टेटस मात्र है?

सादर,

इस कथा में कथा तत्व यानि Narrative elements मौजूद होने के बावजूद भी यह लघुकथा हरगिज़ नहीं है। लघुकथा कहते हुए "क्या", "क्यों" और "कैसे" के तीनो बिंदु यदि तुष्ट नहीं होते तो समझें रचना अधूरी है। कथ्य को तथ्य की स्पोर्ट चाहिए ही चाहिए होती है। मदन भागकर घर के अंदर जा घुसा यह कथ्य है, क्यों घुसा ? क्या कारण था? - यह तथ्य है जो इस रचना में नदारद है। अत: यह लघुकथा अधूरी मानी जाएगी। 

मतलब हमें कथा में कारण भी रखने की जरूरत है इशारों में ही सहीं ..... तथ्य का रूप अब जाकर स्पष्ट हो पाया है । आभार

अब कहिये आ० कांता रॉय जी। पिछली लघुकथा गोष्ठी में आपकी रचना पर इसी "कथ्य और तथ्य" को लेकर की गई मेरी टिप्पणी तार्किक थी या नहीं ? (जिसपर आपने मुझे लम्बा चौड़ा लेक्चर भी दिया ) :))))))))))))

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
16 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
57 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service