For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 55 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-56

विषय - "गर्मी की छुट्टी"

(गर्मी की छुट्टी होते ही कितनी सारी योजनाएं बनने लगती हैं, कहाँ घूमने जाना है-सागर किनारे या हिल स्टेशन, नानी के घर या फिर मासी -बुआ के घर ? सिंगिंग डांसिंग, आर्ट, स्विमिंग का समर कैम्प ज्वाइन करना है, या फिर घर में ही कुछ रचनात्मक करने की प्लाइंग्स..... मन में अनगिन योजनाएं अकार लेने लगती हैं, कहीं मेहमानों की रौनक तो कहीं पत्नी के मायके जाने पर पसरता सूनापन ..... तो आइये सोचते हैं क्या लाती हैं ये छुट्टियां और कलमबद्ध करते हैं घर -परिवार की, अपने मन की इन्ही बातों को और अपनी अभिव्यक्तियों के ज़रिये इस लाइव महोत्सव के अंक 56 के पन्नो में सबसे सांझा करते हैं अपनी छुट्टियां ....) 

आयोजन की अवधि- 12 जून 2015, दिन शुक्रवार से 13 जून 2015, दिन शनिवार की समाप्ति तक  (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान केवल अपनी एक सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टि प्रस्तुत करें.
  •  रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि अपनी रचना पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 12 जून 2015, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 8345

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय अरुणभाईजी,
सही बात है, आयोजन का शीर्षक बहुत ही प्रभावी है. यह रचनाकर्म के लिए आमन्त्रित करता हुआ सा है. लेकिन जिस तरह से मंच के माननीय सदस्य ’अति व्यस्त’ चल रहे हैं, आयोजन शीर्षक-फ़्री भी कर दिया जाय तो कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला.
आपने प्रस्तुति को अपने भाव-शब्दों से लाद दिया. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय.

अरे... वाह.वाह..बहुत ही सुन्दर गीत ....आनंद आ गया... ढ़ेरों बधाई ..आदरणीय सौरभ सर, सादर

हम बाल-गीत रचें और सचके बालक-बालिका ’वाह वाह’ करें ! यह तो अत्यंत आदर्श स्थिति है !
बहुत बहुत धन्यवाद महिमा श्री ..

परम आदरणीय सौरभ जी सादर,


बाल गीत सरल व अति सुन्दर है गर्मी की छुट्टी का बहुत सुन्दर चित्रण किया है पढ़कर मजा आ गया.  इस मोहक प्रस्तुति के लिए हृदय तल से बधाई स्वीकार करें आदरणीय,  सादर अभिनन्दन ,,,,,,,

ऐसे बाल गीतों या ऐसी रचनाओं केलिए कम ही अवसर मिलता है आदरणीय सत्यनारायणभाईजी. अतः यह एक सुहृद अवसर की तरह है. आपको प्रयास रुचिकर लगा यह मेरेलिए भी संतोष की बात है.

सादर धन्यवाद

बाल गीत अय हय हय लाला
अदभुत,अतुलित,अनुपम,आला   
बचपन मुझको याद दिलाया  
"तिरपन" से "तेरां" कर डाला

आदरणीय योगराजभाईसाहब,
आपने प्रस्तुति प्रयास की दिल खोल कर सराहना की. मन झूम रहा है. आपका हार्दिक आभार आदरणीय.

लेकिन सही कहूँ तो मन अत्यंत दुखी है.

जिस तरह से अब हमसभी सदस्य आयोजनों को लेने लगे हैं, वह बहुत उत्साहित करता हुआ नहीं दिखा रहा. जिस तरह से मंच के माननीय सदस्य ’अति व्यस्त’ चल रहे हैं, आयोजन शीर्षक-फ़्री भी कर दिया जाय तो लगता है, कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला.
नये सदस्यों ने अपनी-अपनी विधाओं के खाँचे बना लिये हैं. क्योंकि उनको इस मंच के व्यवहार की जानकारी ही नहीं है. न कोई बताने वाला है. यह अवश्य है कि हम किसी बच्चे को उसकी ज़िद से जबरदस्ती मना नहीं सकते. उसकी जो आदत है वो वही करेगा. लेकिन उसे यह तो अहसास करा ही सकते हैं कि उसकी ज़िद माहौल पर भारी पड़ रही है. इसी तरह, कुछ रचनाकर्मी अन्य विधाओं में रचनाकर्म करना तो दूर, उनको पाठक होने के दायित्व निर्वहन तक में दिक्कत होती दिख रही है. ऐसी संकुचित सोच इस तरीके इस मंच पर कभी हावी नहीं हुआ करती थी. ऐसी सोच पहले कभी हावी हुई भी, तो उसे हमसभी ने ठीक किया है. उधर, पुराने सदस्य इतना ’सीख’ गये हैं कि आगे प्रयासरत होना समय की बरबादी समझते हैं. इस पर मेरे जैसा कोई कुछ कह दे तो सबकी हेठी होने लगती है. दूर तक सुनायी दे ऐसी चीखम-चिल्ली मचती है. आदरणीय भाईजी, विचित्र सी स्थिति है यह तो !

फिर, क्यों न हम इस मंच को विधा-विशेष के लिए विशिष्ट और सुरक्षित पटल के तौर पर घोषित कर दें. या नहीं, तो ऐसे नये सदस्य जो सिर्फ़ अपनी रचनाओं और ’अपनी रचना-विधा’ तक सीमित रहना चाहते हैं उनकी इस आदत को सीमा बतायी जाये.  और, पुराने सदस्य जो ’टहलू’ किस्म के हैं, यदा-कदा टहलने आ जाते हैं, उनकी ’टहल’ से यह मंच क्यों प्रभावित हो ?  ऐसे सदस्य तो वैसे भी अपने जैसे अन्य सदस्यों के समूह में इस-उस जगह टहलते रहते हैं..

मैं ऐसा इस लिए कह रहा हूँ, क्यों कि इसपटल के आयोजनों का विशिष्ट उद्येश्य हुआ करता है. जब उस उद्येश्य की पूर्ति ही नहीं होनी तो फिर ऐसे ’लगातार हाशिये पर जाते हुए’ आयोजनों की आवश्यकता ही क्या है ?

सादर

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , हम सब नये है यहाँ यह तो बिलकुल साफ है लेकिन हम यहाँ अपनी सार्थक उपस्थिति चाहते है । इस मंच पर व्यवहार का ज्ञान हममें अभी कम ही है । जरा सहमते हुए ही प्रतिक्रिया कर पाते है । आपको सदृढ़ आप का आंतरिक ज्ञान ही बनाता है । मै यहाँ टहलुआ भी नहीं बनना चाहती हूँ । कविता से मेरा तकनीकी परिचय नहीं है इसलिए मार्गदर्शन लेना ही अभी मेरी प्रवृत्ति बनी हुई है । बाकी हमें सुझाव देकर अनुग्रहित करें कि हम क्या करें और यहाँ के लिए हमारे तौर तरीके क्या होने चाहिए । सादर नमन

आदरणीया कान्ताजी, आप अभी नितान्त नयी सदस्य हैं. आप मंच पर उपलब्ध विधा और विधान सीखने की ओर ध्यान रखें.. जितना बन सके उतना समझना, यह ध्येय हो तो ही मंच की उपस्थिति की सार्थकता है. विश्वास है, आप तक  कहे का मर्म उद्घाटित हुआ.

सादर

आदरणीय गुरुदेव योगराज जी, आपकी प्रतिक्रिया में टंकण त्रुटि परिलक्षित है...

"तिरपन" तिरानबे से "तेरां" कर डाला  :-)))))))))))))

तिरानवे कर ले लिया ,तिरपन से क्यूँ  बैर   

   चाचा पंगा ले रहे ,मत समझो तुम खैर 

:-)))

उस समय तो आपने बताया नहीं जब आदरणीय थे. हा हा हा...

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
13 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
51 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
56 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
19 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service