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किसका साया ……

किसका साया ……

किसका साया मुझे जीने कि सज़ा देता है
कफ़स में आरज़ू की .रूह को क़ज़ा देता है

पेशानी पे बहारों की .अलम लिखने वाली
कौन मेरी आँखों को नमी की क़बा देता है

थी जब तलक साथ तो ज़िंदगी हसीन थी
अब दर्दे हिज़्र मुझे .हर लम्हा रुला देता है

मेरे ख्वाबों के शबिस्तानों में ..रह्ने वाली
बेवफा लौ मेँ पतंगा .खुद को जला देता है

बेवजह मेरे अश्कों की ..वज़ह बनने वाली
कौन मुझे कफ़न मेँ साँसों की दुआ देता है

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on May 29, 2014 at 2:30pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी रचना पर आपकी आत्मीय  प्रशंसात्मक अभिव्यक्ति  का हार्दिक आभार।  बस लिखते लिखते रचना ग़ज़ल के रूप बन गयी हालांकि ये बह्र नियमों का निर्वाह नहीं कर रही। अनुरोध है की इसे एक रचना के रूप में लेकर आनंद लें। आपके सुझाव और समीक्षा सदैव मेरे लिए पथप्रदर्शक रही है। इस हेतु आपका हार्दिक आभार। नेट व्यवधान के कारण आभार व्यक्त करने में विलम्ब के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 23, 2014 at 1:28am

आपकी सहभागिता और इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.

बधाई और शुभकामनाएँ ..

अच्छा किया आपने इसे ग़ज़ल नहीं कहा. फिर इस प्रस्तुति को ऐसी शैली की बाध्यता क्यों दी आपने ? पाठक-मन ग़ज़ल के शिल्प को ढूँढता हुआ अक्सर विकल होने लगता है. या, मुझसे ही इस प्रस्तुति के शिल्प को समझने में भूल हुई हो तो क्षमा करेंगे.

विश्वास है, आप मेरे कहे को अन्यथा नहीं लेंगे.

सादर

Comment by Sushil Sarna on May 15, 2014 at 4:20pm

आदरणीय अरुन शर्मा  जी   रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का  हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on May 15, 2014 at 4:19pm

आदरणीय मीना पाठक जी   रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का  हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on May 15, 2014 at 4:18pm

आदरणीय जितेन्द्र जी  रचना पर आपकी स्नेहिल अभिव्यक्ति  का  हार्दिक आभार 

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 12, 2014 at 12:46pm

आदरणीय सुशील जी बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 12, 2014 at 8:29am

आदरणीय शुशील जी, हार्दिक बधाई आपको इस बेहतरीन गजल पर

Comment by Meena Pathak on May 11, 2014 at 2:20pm

बेहतरीन गज़ल ... बधाई आदरणीय | सादर 

Comment by Sushil Sarna on May 9, 2014 at 7:18pm

रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार शिज्जू शकूर ज़ी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 7, 2014 at 9:53pm

आदरणीय सुशील सर अच्छी रचना है बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

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