For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
महा-उत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |
पिछले 42 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-43

विषय - "नेताजी  " 

आयोजन की अवधि- शनिवार 10 मई 2014 से रविवार 11 मई 2014 की समाप्ति तक  

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)


तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दिए हुए विषय को दे डालें एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति. बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो. 
  •  रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 10 मई 2014 दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 11286

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बहुत खूबसूरत गीत रचा है आदरणीय सौरभ जी 

आदरणीय नेताजी बोस की वीरता, देश भक्ति, त्याग, जीवन और संघर्ष सभी कुछ अद्वितीय था, जिसे आज भी हर देशभक्त सच्चे दिल से याद करता है 

कुटिल धूर्तता, दम अंग्रेजी, 
गोरे बहुत प्रभावी थे  
अंग्रेजों की अंग्रेजी में 
पर नेताजी हावी थे .........................वाह!
अव्वल दर्जे का वह नायक  
बार-बार याद आता है ......................जी सही कहा 

आदरणीय इसे बालगीत के प्रारूप में बच्चों के लिए थोड़ा और ज्ञानवर्धक बनाने के लिए इसमें उनका अंगरेजी सरकार की नौकरी को ठुकरा देना और आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन करना भी शामिल करता एक बंद और अवश्य ही जोड़ दीजिये..ऐसा मेरा नम्र निवेदन है.

'नेताजी' शब्द की आत्मा को इसकी वास्तविक छवि के उदाहरण से प्रस्तुत करते इस गीत के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय 

सादर.

आदरणीया प्राचीजी, इस शीर्षक को सुनते ही सुभाष चन्द्र का ही नाम कौंधा था मन में. समयाभाव के कारण समय से रचना लिखी नहीं जा सकी थी. कल रात ही कुछ अतुकान्त लिखने की सोच रहा था कि पोस्ट कर दी जाय. लेकिन संभव नहीं हो सका.  आज मात्रिक ग़ज़लों को प्रस्तुत हुआ देख मन उत्साहित हुआ और यह मात्रिक गीत बन गया. तभी तो बार-बार याद आता है   जैसी पंक्ति दिख रही है, यादाता है के तौर पर.

आपको प्रस्तुति रुचिकर लगी इसके लिए हार्दिक धन्यवाद.



//इसमें उनका अंगरेजी सरकार की नौकरी को ठुकरा देना और आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन करना भी शामिल करता एक बंद और अवश्य ही जोड़ दीजिये.//

आप विश्वास नहीं कीजियेगा, आज इसी विचार से गीत का प्रारम्भ हुआ था. दूसरा अंतरा उसी रोचक जानकारी और भाव का यह स्वरूप है ! जाने क्यों फिर इस तथ्य को कथ्य में डालने से संकोच कर गया.
आगे देखते हैं यदि कुछ हो पाया.
सादर

नेताजी सम्बोधन सुनकर 
रोम-रोम खिल जाता है.. ----- वाह ! वाह ! दरअसल नेताजी शब्द सुनते ही मेरा ध्यान भी बरबस नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की ओर जाता है | आपकी रचना से उनका समरण कराने के लिए व सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय 

आपकी हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण प्रसादजी.

परम आ. सौरभ जी सादर,

राष्ट्र गगन में पुच्छल तारे
का होना चकचौंध करे
अब भी भारत भर की जनता
आँसू भर-भर आह भरे
चंद्र सुभाष हमारे नेता
का जीवन मुदमाता है..
नेताजी सम्बोधन सुनकर
रोम-रोम खिल जाता है..

आदरणीय आपने बिलकुल सत्य कहा है सुभाष चन्द्र बोस जी को नेताजी तथा उसी कड़ी में देश के अन्य महानुभावों के जीवनकाल में ही उनके परिचयात्मक शब्द बन गये देश की जनता ने कृतज्ञ भाव से उन्हें संबोधित किया है. यह हमारे एवं देश के लिए गौरव की बात है. इस वस्तुस्थिति पर आधारित इस सुन्दर गीत के प्रस्तुति हेतु सादर बधाई आदरणीय

आदरणीय सत्यनारायणजी, गीत के वास्तविक कारण को आपने रेखांकित किया है. यह मेरे लिए भी गौरव की बात है. यह सही है, कि नेताजी के सर्वप्रिय नाम से सुभाष चन्द्र ही प्रसिद्ध थे/हैं.
आपको प्रयास रुचिकर लगा इसके लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय.
सादर

दिये गये विषय पर अब तक की सबसे हटकर रचना है, सही मायने सुभाषचन्द्र बोस जी ही नेताजी हैं उनको समर्पित यह रचना अत्यन्त प्रभावी बन पड़ी है इस रचना के लिये आपको दिली मुबारक़बाद

रचना रुचिकर लगी, इसके लिए हार्दिक धन्यवाद,  भाई शिज्जूजी.

शब्द एक... 'नेता'...लेकिन उस वक़्त नेता नाम फ़क्र की बात होती थी क्यूंकि सुभाषचन्द्र बोस जी ने देश की आजादी में अपनी कर्मण्यता अपने प्रयास अपनी सक्रियता से इस संबोधन को सार्थक भी किया था किन्तु आज का 'नेता' शब्द तो कितने  प्रश्नचिन्ह अपने साथ लेकर घूमता है इस सामयिक शब्द से अलग उस वक़्त के नेता पर आपकी कलम चली ये आपकी सूझबूझ ,आपके गंभीर रचनाकार  होने का  ही एक उदाहरण है| नेता जी सुभाष चन्द्र बोस  जी के साथ- साथ आपकी कलम को भी नमन| 

आदरणीया राजेश कुमारीजी, आपने मेरे प्रयास को मान दे कर मेरा प्रभूत उत्साहवर्द्धन किया है.

आपका सादर आभार.

आदरणीया, एक अपुष्ट जानकारी के अनुसार सुभाष चन्द्र बोस को नेताजी जैसा आदरसूचक सम्बोधन बापू ने ही दिया था. 

सादर

आज नेता शब्द किसी गाली जैसा हो चला है. ऐसे में असली नेता जी की बात करके आपने प्रदत्त विषय को नए आयाम बख्श दिए हैं. कहाँ आज के परजीवी तथाकथित नेता और कहाँ खून के बदले आज़ादी देने वाले हमारे सुभाष बाबू। यह सच है कि उनका नाम सुनकर रोम रोम पुलकित हो  जाता है,मगर दिल दुखता है यह जानकर कि "चलो दिल्ली" का नारा बुलंद करने वाले नेता जी की कौम के लिए दिल्ली आज भी बहुत दूर है. बहरहाल, आपके इस सुन्दर गीत ने आयोजन में चार चाँद लगा दिए हैं. मैं ह्रदयतल से इस सार्थक और सारगर्भित रचना के लिए आपको मुबारकबाद देता हूँ.

जी आदरणीय, आपने आजके राजनीतिबाजों के लिए सही विशेषण दिया है .. परजीवी.
बात सही है कि सुभाष बाबू की तुलना में आजके परजीवी कहीं नहीं ठहरते. लेकिन उन जैसे हिमालयी महत्ता के राष्ट्रपुत्रों की सोच में जीने वाली कौम के लिए ’दिल्ली’ वाकई ’दूर’ है. जनता के लिए जनता के द्वारा जनता का राज रहने ही नहीं दिया है आजके टुच्चे राजानीतिबाजों ने.
आपके अनुमोदन के लिए सादर आभार आदरणीय.
सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर,होठों को शहद, रस, जाम आदि तो कई बार देखा सुना था लेकिन पहली बार होंठ पे गमले देखने का…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आभार आ. शिज्जू भाई..मंच पर इसी तरह की चर्चा ही उर्जा भर्ती है आभार "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर,आपने मुझे मज़ाक मज़ाक में अब्दुल रज़ाक कर दिया 🤣😂🤣😂🤣😂"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"बहुत खूब, आदरणीय दिनेश कुमार जी. वाह वाह  इस अच्छे प्रयास पर हार्दिक बधाई स्वीकार…"
9 hours ago
Sushil is now a member of Open Books Online
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"क्या खूब कहा आदरणीय निलेश भाई सादर बधाई,   “जो गुज़रेगा इस रचना से ‘नक्की’…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"हा हा हा.. कमाल-कमाल कर जवाब दिये हैं आप, आदरणीय नीलेश भाई.  //व्यावहारिक रूप में तो चाँद…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service