For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितनी दूर से बुलाये गये 
नाचने वाले सितारे 
कितनी दूर से मंगाए गए 
एक से एक गाने वाले 
और तुम अलापने लगे राग-गरीबी 
और तुम दिखलाते रहे भुखमरी 
राज-धर्म के इतिहास लेखन में 
का नही कराना हमे उल्लेख 
कला-संस्कृति के बारे में...

का कहा, हम नाच-गाना न सुनते 
तो इत्ते लोग नही मरते...
अरे बुडबक...
सर्दी से नही मरते लोग तो 
रोड एक्सीडेंट से मर जाते 
बाढ़ से मर जाते 
सूखे से मर जाते 
मलेरिया-डेंगू से मर जाते 
कुपोषण से मर जाते 
अरे भाई...माल्थस का भूत मरा थोडई है..
हम भी पढ़े-लिखे हैं 
जाओ पहले माल्थस को पढ़ आओ...

अरे भाई कित्ता लगता है
एक जान के पीछे पांच लाख न...
विपक्ष भी सत्ता में होता तो 
इतना ही न ढीलता...
हम भी तो दे रहे हैं 
फिर काहे पीछे पड़े हो हमारे...

अपने गाँव-गिरांव के आम जन को 
हम दिखा रहे नाच, सुना रहे गाने 
मिटा रहे साथ-साथ, राज-काज की थकावटे
राज-काज आसान काम नही है बचवा...
न समझ आया हो तो जाओ 
जो करते बने कर लो....

.
----अ न व र सु है ल ------

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रमेश कुमार चौहान on January 16, 2014 at 10:30pm
वाह क्या गजब का अंदाज है । इस समसमायिक प्रस्तुति पर बधाई

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 16, 2014 at 10:09pm

आदरणीय अनवर साहब. इस तेवर में पहली दफ़ा में आपको पढ़ रहा हूँ.

सादर बधाइयाँ

Comment by annapurna bajpai on January 16, 2014 at 7:25pm

आ0 अनवर जी सुंदर रचना बधाई । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 16, 2014 at 5:59pm

आदरणीय अनवर साहब इस उम्दा रचना के जरिये ऐसा जोरदार तमाचा जड़ा है कि बस आनंद आ गया. शानदार अभिव्यक्ति बेहतरीन अंदाज बहुत बहुत बधाई आपको.

Comment by Mukesh Kumar Sinha on January 16, 2014 at 9:54am
gajab!!
Comment by सूबे सिंह सुजान on January 15, 2014 at 11:04pm

वाह क्या बात कही .....है

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 15, 2014 at 7:00pm
ये सब माल्थस के भूत ने किया है?
गजब
मुझे भी मिला था, माल्थस का भूत
जाने कितने ही और लोगों को भी मिलता होगा
रोज
हर कदम हर मोड़ पर
और यह भूत जब मिल जाता है राजनीति के बड़के बरम से
तब हो जाता है इसका पॉवर दो गुना
फिर ये मिल कर करते हैं सैफई तांडव
होना भी चाहिये।

कमाल है जोरदार आपको बधाई अनवर सुहेल जी!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 15, 2014 at 3:10pm

आदरणीय अनवर सुहैल जी, व्यंग का स्वर मुखर होकर बोल रहा है, बोल ही नहीं रहा बल्कि लतिया रहा है, क्या खूबसूरती से तमाचा मारा है,

//का कहा, हम नाच-गाना न सुनते 
तो इत्ते लोग नही मरते...
अरे बुडबक...
सर्दी से नही मरते लोग तो 
रोड एक्सीडेंट से मर जाते 
बाढ़ से मर जाते 
सूखे से मर जाते 
मलेरिया-डेंगू से मर जाते 
कुपोषण से मर जाते //

आय हाय हाय, जोरदार प्रहार किया है भाई, जबर्दस्त, बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें, ऐसी रचनाएं रोज जन्म नहीं लेतीं |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
36 minutes ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
39 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
39 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
40 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी ठीक है  मशविरा सब ही दे रहे हैं पर/ मगर ध्यान रख तेरे काम का क्या है ।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमस्कार। बहुत बहुत आभार आपका।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर नमस्कार। बहुत बहुत शुक्रियः आपका"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई आपको।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सम्माननीय ऋचा जी । बहुत बहुत आभार"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service