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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 31 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.


छंदोत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें | 

(प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से साभार लिया गया है)

तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण !

 

आपको पुनः स्मरण करा दें कि छंदोत्सव का आयोजन मात्र भारतीय छंदों में लिखी गयी काव्य-रचनाओं पर ही आधारित होगा. इस छंदोत्सव में पोस्ट की गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों के साथ कृपया सम्बंधित छंद का नाम व उस छंद की विधा का संक्षिप्त विवरण अवश्य लिखें. 

ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.

नोट :

(1) 19 अक्टूबर 2013 तक Reply Box बंद रहेगा, 20 अक्टूबर दिन रविवार से 21 अक्टूबर दिन सोमवार यानि दो दिनों के लिएReply Box रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो. रचना भारतीय छंदों की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है. यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे और केवल मौलिक एवं अप्रकाशित सनातनी छंद की रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :

यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बारsign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 31  की आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो रचनाएँ.

 

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

 

नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.

 

सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

 

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.

 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहा...

 

 

मंच संचालक

सौरभ पाण्डेय

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

 

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Replies to This Discussion

छंद - दोहा 

--------------------------
संक्षिप्त विधान - दो पद होते हैं। इसके प्रत्येक पद में 24 मात्राएँ होती हैं. हर पद दो चरणों में बंटा होता है. उसके पहले और तीसरे चरण में 13-13 मात्राएँ और दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं.

 

 

---------------------------------------------------------------------------

वाह री महिमा नीर की,  जित देखो उत नीर !

चहु तरफ बस नीर नीर, आपद विकट गंभीर !!

 

इस जीवन की देख गति, फिर भी रोक न पाय  !

घर का चूल्हा बुझे नही,    रिक्शा रहा चलाय !!

 

बाबू जी भी देख जल , मन ही मन हरसाय  !

जल के भीतर बैठ कर, दाढ़ी अपनी बनवाय  !!

 

नाई जी  भी पिल पड़े, कर  ऊपर पतलून !

बिन चिंता के चला रहे, हियर कटिंग सैलून !!

 

खुले खुले मैदान मैं, हवा मनोरम आय !

पंखा कूलर फेल भये, ऐसी नीर बहाय !!

 

तुम बड़े करतार प्रभु,  सागर देत सुखाय !   

और कभी गलीयन को, सागर देत बनाय !!

-------------------------------------------------------------------------

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

 

बहुत खूब आदरणीय सचिन जी, बहुत-बहुत बधाई

प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार भाई कुमार गौरव जी ...

आदरनीय सचिन भाई , सुन्दर दोहावली के लिये बधाई !!!!

वाह री महिमा नीर की

21  2   112    21  2 ---------- 14  मात्रा है भाई जी , आदरणीय सुधार कर लीजियेगा !!!!

आदरणीय गिरिराज जी.. आपके प्रोत्साहन और त्रुटि की ओर इंगित कराने के लिए आपका हार्दिक आभार ! 

बहुत खूब आदरणीय सचिन जी अच्छी दोहावली है बधाई, शेष आदरणीय गिरिराज जी ने तो कह दिया है

आदरणीय शिज्जू शकूर जी, आपका हार्दिक आभार प्रोत्साहन के लिए !

प्रदत्त विषय को दोहे में कालबद्ध करने का अच्छा प्रयास है भाई जी! आपको हार्दिक बधाई!

मेरे विचार से 'गलियों' को 'गलियन' लिखा जा सकता है 'गलीयन' नहीं. 

दोहों या अन्य छंद में पाय, चलाय, हरसाय इस तरह के शब्दों के बहुत अधिक प्रयोग से बचना चाहिए. ये मेरे निजी विचार हैं.

सादर!

सादर प्रणाम भाई बृजेश जी .... आपकी शिल्प पर तीक्ष्ण नजर और आपके सु- विचारों का हार्दिक स्वागत है ... निकट भविष्य मैं इन कमियों को दूर करने का प्रयास रहेगा ऐसे ही प्रोत्साहन की आकांक्षा के साथ हार्दिक आभार आपका ! 

सचिन देव जी ,आपके दोहों के भाव शानदार है प्रदत्त चित्र को भी सार्थक कर रहे हैं ,किन्तु विधान पर खरे नहीं उतर रहे| बहरहाल सहभागिता हेतु बधाई आपको |    

आदरणीया राजेश कुमारी जी, दोहे के भावों को आपकी सराहना मिले उसके लिए आपका हार्दिक आभार ! 

सुन्दर दोहावली की बधाई सचिन भाई।

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