For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! सारांश !!!
बह्र - 2 2 2


कर्म जले।
आंख मले।।


धर्म कहां?
पाप पले।


नर्म गजल,
कण्ठ फले।


राह तेरी ,
रोज छले।


हिम्मत को,
दाद भले।


गर्म हवा,
नीम तले।


जीवन क्या?
हाड़ गले।

आफत में,
बह्र खले।


प्रीत करों,
बन पगले।


विव्हल मन,
शब्द टले।


दृषिट मिली,
सांझ ढले।


गर मुफलिस,
बात टले।

कण्टक पथ,
सत्य फले।

दुष्ट यहां,
हाथ मले।


के0पी0सत्यम / मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 896

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 7:29pm

आ0 प्रदीप भाई जी,  यह छोटी बह्र की गजल है।  संक्षिप्त इशारा मात्र।  आपका बहुत बहुत धन्यवाद आभार।  सादर,

Comment by Pradeep Kumar Shukla on October 28, 2013 at 4:29pm

sundar prayog ... haiku jaisa ... par kshama chaahunga Keval ji, aapki rachna ka adhikaansh ansh main samajh nahin saka ... kaafi gahre arth hain shayad .... ummed hai aap anyatha nahin lenge

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 22, 2013 at 6:26pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी!  सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by annapurna bajpai on October 20, 2013 at 10:31pm

 बहुत बढ़िया गजल के लिए बधाई आपको  आदरणीय केवल भाई जी । 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 17, 2013 at 7:52pm

आदरणीय सौरभ सर जी, सादर प्रणाम।  सर जी, आपके स्नेह और मार्गदर्शन से ही कुछ सम्भव हो पाता है  और जब आपका आशीष मिलता है तो मैं अतिकृतार्थ हो जाता हूं। आपके कण्ठ मुक्त आशीर्वाद के लिए आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 17, 2013 at 7:48pm

आदरणीय अखिलेश भार्इ जी, आपके स्नेह और गजल की सराहना के लिए आपका तहेदिल से आभार। सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 3:30am

भाई केवल प्रसादजी.. यह ग़ज़ल आपके सामर्थ्य की बानग़ी है. इस प्रयोगधर्मिता का हम सम्मान करते हैं. बहुत सुन्दर प्रयास के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 16, 2013 at 9:50pm

जीवन  संघर्ष है , प्यार पागलपन।  धर्म  सत्य सभी पर सुंदर अभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई केवल भाई ।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 16, 2013 at 7:01pm

आदरणीया मीना जी,   आपके स्नेह एवं उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 16, 2013 at 7:00pm

आदरणीय बृजेश भार्इ जी,   आपके स्नेह एवं उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
15 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service