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पौधा 

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नन्हा  सा  एक  बीज 
जीवन  उसमें  समाता 
बोते  धरती  में  उसको 
तब एक पौधा बन जाता 
पाकर हवा ताप नमी 
बीज अंकुरित है  होता 
निराई  गुड़ाई  करते जब 
मजबूत  खड़ा  वो  होता 
धरती भीतर भाग जो होता 
जड़ वो कहलाता है 
धरती  ऊपर  तना  खड़ा रहे 
वो भाग तना  कहलाता है 
शाखाएं  फूटती  तने से 
खिलते  फूल  लगते फल 
तितली  भोंरे  डोलते  फिरते 
उड़  जाते  कह फिर मिलेंगे  कल 
  • प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 
१३-०४-२०१३ 
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 1158

Replies to This Discussion

अच्छी जानकारी के साथ बच्चों के लिए अच्छी कविता। बधाई आपको।

आदरणीय ब्रजेश जी,

सादर अभिवादन.

मेरे प्रयास को सराहा 

आभार. 

आदरणीय प्रदीप जी बच्चों के लिए बहुत सुन्दर ज्ञान को समेटा है इस नन्हे से गीत में... पौधों के भाग जड़ तना फल फूल पत्ती सबके बारे में बताती सुन्दर अभिव्यक्ति....

हार्दिक बधाई प्रदीप जी 

प्रदीप जी,

इस सुन्दर बाल गीत के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

आदरणीया प्राची जी 

सादर अभिवादन 

ये आपके प्रोत्साहन का फल है. 

मेरी पोस्ट ..विद्द्यालय .. आपके हस्ताक्षर नहीं पायी है 

आभार. 

आदरणीय विजय सर जी , सादर अभिवादन 

आप सदेव मेरा उत्साह बढ़ाते है, 

स्नेह हेतु आभार. 

वृक्ष के सभी अंगों का ज्ञान देती हुई सुंदर बालोपयोगी कविता . आदरणीय कुशवाहा जी बधाई स्वीकार करें.

आदरणीय अरुन जी 

सादर 

आखिर आपने स्नेह की वर्षा कर ही दी 

आभार 

अंकुरण को सुन्दरता से बयान किया गया है. आदरणीय प्रदीपजी को मेरी सादर शुभकामनाएँ.

मात्रिकता का निर्वहन बाल-गीत को सरस और संप्रेषणीय़ बनाता है.

सादर

आदरणीय गुरुदेव जी 

सादर अभिवादन 

मात्रिकता का निर्वहन बाल-गीत को सरस और संप्रेषणीय़ बनाता है

याद रखूँगा 

आभार 

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