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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" - अंक 33 (Now Closed with 624 Replies)

परम आत्मीय स्वजन,

 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 33 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का तरही मिसरा जनाब अकबर इलाहाबादी की गज़ल से लिया गया है | 

 

इसको हँसा  के मारा, उसको रुला के मारा
   २२       २१२२        २२१       २१२२ 
मफईलु / फ़ालातुन /मफईलु / फ़ालातु
 
रदीफ़     : के मारा
काफिया : आ की मात्रा 

अवधि    : 23 मार्च दिन शनिवार से दिनांक 25 मार्च दिन सोमवार तक 

अति आवश्यक सूचना :-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के इस अंक से प्रति सदस्य अधिकतम दो गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं |
  • एक दिन में केवल एक ही ग़ज़ल प्रस्तुत करें
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिएँ.
  • तरही मिसरा मतले में इस्तेमाल न करें
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी रचनाएँ लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.  
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें.
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये  जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी. 
  • तरही मुशायरे में केवल ग़ज़ल नियमों पर आधारित पोस्ट ही स्वीकार्य होगी ।

 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 23 मार्चदिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें | 



मंच संचालक 
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य, प्रबंधन समूह) 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

Views: 13491

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बातें शहद सी मीठी, मासूम सी अदा ने

नादान मेरे दिल को पागल बना के मारा...........अहा क्या मासूमियत है. वाह......

आदरणीय संदीप जी भाई बढ़िया गजल वह कहते हैं न देर आयद दुरुस्त..... मजा आ गया. खूब दाद कुबुलें.

आदरणीय अशोक सर जी सादर प्रणाम

आपका बहुत बहुत आभार इस सराहना हेतु

होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं

सादर भाई संदीप जी आपको भी होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.

प्रिय संदीप देर से ही सही पर आते ही धमाकेदार ग़ज़ल कहीं दिली दाद कबूले इस मुसल्सल ग़ज़ल हेतु.|

आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम

आपका बहुत बहुत धन्यवाद  इस सराहना हेतु

होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं

वाह मित्रवर संदीप जी ऐसी सुन्दर ग़ज़ल पेश की है कि देर से आना खला तो है पर ग़ज़ल पढके जो आनंद आया सब भूल गया, सुन्दर अशआरों से सुसज्जित लाजवाब ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

आदरणीय अरुण भाई बहुत बहुत धन्यवाद आपका

होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं

अव्वल तो उसने हमको नजरें मिला के मारा

जी भर गया जो हमसे नज़रें चुरा के मारा........इधर से भी मारा उधर से भी मारा...

आदरणीय शुभ्रांशु जी सादर प्रणाम

ग़ज़ल के इस प्रयास को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार आपका

होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको

कोशिश सही हुई है रंगत भली लगे, पर 

संदीप को जुबानी वाह्वा सुना के मारा .. .   :-))))))  .. होली हैऽऽऽऽ !!! ... .

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सादर प्रणाम

आपसे सराहना पाना वो भी इक शेर के माध्यम से मन प्रसन्न हो गया

स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार

होली की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं सर जी सादर

संदीप भाई, अन्य व्यस्तताओं के मध्य आपने हम सब के लिए कुछ पल निकाला, इसके लिए बहुत बहुत आभार, ओ बी ओ तो आपका घर है ना, और घर आने में अक्सर विलम्ब हो जाया करता है :-) चलिए अब ग़ज़ल पर बात करते है ........

यूँ तो सभी शेर अच्छे लगे, किन्तु एक शेर जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद है ..

बातें शहद सी मीठी, मासूम सी अदा ने

नादान मेरे दिल को पागल बना के मारा

वाह वाह, बहुत बढ़िया ....कुल मिलाकर एक अच्छी ग़ज़ल की प्रस्तुति, बधाई स्वीकार करें । 

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