For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्त्री -शक्ति सम्मान

खबर पढ़ी दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की शिकार पीडिता को मरणोपरांत "स्त्री -शक्ति सम्मान " से सम्मानित किया गया .मंत्रालय की मुहर लग गई। "उसे बहादुर बालिका" की उपाधि से सम्मानित किया गया।

मुझे जहाँ तक ज्ञात है सम्मान किसी  उपलब्धि पर दिया जाता है। इस केस में क्या उपलब्धि रही समझ नहीं आया। क्या उस घटना के बाद सुरक्षा व्यवस्था इतनी मजबूत हो गई कि भविष्य में ऐसी कोई घटना दोहराई  न जा सके? नहीं। फिर उसका गैंगरेप हुआ क्या यह उपलब्धि रही।? या तमाम सरकारी चिकित्सकीय सुविधाओं  को मुहैया कराने के बाद भी उसे बचाया न जा सका . उसे शहीद होना पड़ा ? कौन से आदर्श और प्रतिमान गढ़ गई ? क्या किसी आदर्श की  प्रतिष्ठापना के लिए  लड़ते शहीद हो गई?    ऐसा क्या हुआ ? माना की उस समय पूरा देश बस अपराधियों को सजा दिलवाने और महिला सुरक्षा की चर्चा में मशगूल हो गया। पर हुआ क्या?  ऐसी घटनाएँ आम हो गईं। गैंगरेप जैसे शब्दों से बच्चा बच्चा परिचित हो गया .फलस्वरूप जानने की और उत्सुकता बढ़ गई।  माता   पिता परिजनों को सांत्वना एवं मदद  करना ठीक था यह नैतिक कर्तव्य समझ में  आता है। 

अपने ज्ञानवर्धन के लिए मै सम्म्मानित महिला वर्ग से यह जानना चाहूंगी की कितनी महिलाएं इस तरह का सम्मान एवं उपाधि प्राप्त करना चाहेंगी ? इसके लिए वो क्या -क्या  कदम उठाएंगी ? और कितना गौरवान्वित महसूस करेंगी ?   

मैंने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है  किसी भावना के वशीभूत हो कर नहीं। यदि किसी को कुछ  लगे तो पहले ही क्षमा  मांग ले रही हूँ।

Views: 476

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Madan Mohan saxena on December 11, 2014 at 4:24pm

बहुत गंभीर प्रश्न

Comment by Yogi Saraswat on March 11, 2013 at 11:29am

अपने ज्ञानवर्धन के लिए मै सम्म्मानित महिला वर्ग से यह जानना चाहूंगी की कितनी महिलाएं इस तरह का सम्मान एवं उपाधि प्राप्त करना चाहेंगी ? इसके लिए वो क्या -क्या  कदम उठाएंगी ? और कितना गौरवान्वित महसूस करेंगी ?बहुत सटीक सवाल  उठाया है आपने !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 11, 2013 at 10:51am

बहुत गंभीर प्रश्न उठाया है आपने मंजरी पाण्डेय जी, सम्मान हेतु यह कोई उपलब्धि नहीं, सम्मान ही करना है तो

शिकार हुई पीडिता के नाम सुधारात्मक काम चालू किया जावे, योगना बने जावे और उसे क्रियान्वित किया जावे |

आपकी सोच और कल्पना कर उठाये प्रश्न के लिए आपको नमन करते हुए हार्दिक बधाई 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 10, 2013 at 8:10pm

बहुत ही घृणित मानसिकता का परिचायक है यह सम्मान!

Comment by Vinita Shukla on March 10, 2013 at 1:10pm

आपने सच कहा मंजरी जी. असहाय महिला के साथ हुए हादसे को, उसकी 'उपलब्धि' से जोड़ा नहीं जाना चाहिए. विवशता में जो कुछ उसको झेलना पडा- उसे बहादुरी से जोड़ना बिलकुल ठीक नहीं है.

Comment by ram shiromani pathak on March 9, 2013 at 7:27pm

आदरणीया मंजरी जी:

 मैं आपसे पूर्णतः सहमत हूँ .सादर

Comment by विजय मिश्र on March 9, 2013 at 9:54am

तन्त्र अपने कुलटे चरित्र की असहजता को कम करने की चेष्टा भर कर रहा है और राजनितिक परिप्रेक्ष्य में जहाँ जो उघरा है , ढँकने का असफल प्रयास कर रहा है . और क्या ? इस प्रकरण में सबकुछ तो घृणित ही था और यह कदम उसके अति में परिणति को ही इंगित करता है . मैं आपसे पूर्णतः सहमत हूँ .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 9, 2013 at 3:09am

नहीं आदरणीया मंजरी जी.. आपके प्रश्न अत्यंत प्रखर हैं. वास्तव में यही मुखरता नारी समाज के लिए सम्मान के पल न्यौतता है.

आपकी वैचारिक समझ को सादर नमस्कार.. .

Comment by वीनस केसरी on March 9, 2013 at 1:59am

महिला दिवस नजदीक था सरकारों ने महिला को सम्मान दिलाने की भरसक कोशिश कर डाली ...
कहीं ऐसा न हो कि सम्मान में कुछ कमी रह जाए

Comment by vijay nikore on March 8, 2013 at 11:38pm

आदरणीया मंजरी जी:

 

आपने तो हर एक बात सही कही है, आप को क्षमा माँगने का सवाल ही

कहाँ उठता है! यह सम्मान नहीं है... यह तो मात्र दिखावा है, शायद इससे उनको

कुछ वोट और मिल जाएँ। सम्मान तो तब होता कि यदि बलात्कार की शिकार पीडिता

के नाम वास्तव में समाज में सुधार लाए जाएँ, सुरक्षा बढ़ाई जाए, नारी को हर किसी की

आँखों में ऊँचा उठाया जाए... हर नारी को उसका उचित स्थान दिया जाए।

 

सादर और सस्नेह,

आपके लिए गर्व के साथ...

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service