For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोहरे से और बर्फ से, मिला हवा ने हाथ!
अबकी जाड़े में दिया, फिर सूरज को मात !! १

काँप रहा है भीति से, लोक तंत्र का बाघ!
संबंधों में शीत है, और फिजां में आग !!२

रिश्ते नातों में लगा, शीतलता का दाग !
काँप रही है देखिये, कैसे थर-थर आग !!३

फिर पतझड़ की याद में, वृक्ष हो गए म्लान!
छेड़ रहे हैं रात भर, दर्द भरी एक तान !!४

धूप भली लगती कहाँ, याद आ रही रात !
ऊष्ण वस्त्र तो हैं नहीं होना है हिमपात !!५

पहरा देती है हवा, देखो सारी रात !
चिंता तज कर सोइए, खतरे की क्या बात !!६

भीति मृत्यु है जानकर जीते हैं जो लोग!
निर्भय वे रणबांकुरे , हैं श्रद्धा के योग्य !!७

समरसता हो विविध विधि भले अलग हों लोग
प्रभु हो मेरे देश में नीर क्षीर सा योग !!८

अबकी जाड़े में चली, ऐसी लूक बयार!
पोर-पोर कुम्हला गया मानव मन का प्यार!!९

टुकड़े-टुकड़े हो रहा, एक राष्ट्र का भाव !
टुकड़ों में ही बढ़ रहा नाशुक्रों का गाँव !!१०

डॉ. ब्रिजेश कुमार त्रिपाठी

Views: 422

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ghanshyam prasad raturi'nirdosh' on October 22, 2010 at 2:57pm
great, behad achchi aur mahan rachna hai yeh toh.
Comment by anand pandey tanha on October 20, 2010 at 6:20pm
प्रिय ब्रिजेश भाई ,
अत्यंत ही परिपक्व दोहे हैं , लेकिन प्रसव समय पूर्व हो गया है . हार्दिक बधाई .
आनंद पाण्डेय 'तनहा'
Comment by Narendra Vyas on October 20, 2010 at 11:36am
सादर प्रणाम !
ओज पूरण रचना है , इक चेतना प्रदान करती .
साधुवाद !
सुनील गज्जाणी
--

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 17, 2010 at 4:57pm
टुकड़े-टुकड़े हो रहा, एक राष्ट्र का भाव !
टुकड़ों में ही बढ़ रहा नाशुक्रों का गाँव !!

वाह वाह , बहुत सुंदर, सभी दोहे एक से बढ़कर एक है , एक सन्देश देते हुये दोहे , बधाई इस खुबसूरत कृति पर |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
8 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
8 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service