For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चलो निरंतर..चलो निरंतर.

जिसके पैर न रुकना जाने ,
जिसके हाथ न थकना जाने
सुनो ध्यान से ;
हरदम उसका
भाग्य-लक्ष्मी पीछा करती...
सखा उसी का होता ईश्वर...
जग में वही सफल होता है .
और वही रोता है हरदम...
दुखी दरिद्री भी होता है
पाप उसी को सदा दबाते
कर्महीन जो नर होता है.
त्याग नींद आलस्य इसीसे
शुभ कर्मो को करो निरंतर ...
.......चलो निरंतर -१-

सोये पड़े व्यक्ति का देखो
सोया पड़ा भाग्य रहता है
उठ बैठे तो भाग्य उठेगा
चल पड़ने से चल निकलेगा ...
जो चलते हैं ..
अपना कर्म किया करते हैं ..
थक कर उनके पाप सदा सोया करते हैं
पुण्य सुवासित सुभग भाग्य ले कर आते हैं
नज़र बचा कर आफत- विपत निकल जाते हैं
त्याग नींद आलस्य इसीसे
शुभ कर्मों को करो निरंतर
चलो निरंतर....-२-

सोते हैं जो उनका ही कलियुग होता है
अंगड़ाई लेने वाले द्वापर में आते ...
खड़े हाथ में लिए शस्त्र, दे रहे चुनौती
वीर धनुर्धर राम सदा त्रेता में होते ...
लेकिन हरदम चलनेवाले ..
सदा कर्म को करने वाले
अमृतफल को चखने वाले
सदा सूर्य से तपने वाले...
सतयुग के वो कर्मवीर आदर पाते हैं..
वे प्रमाद को त्याग सदा पूजे जाते हैं ...
त्याग नींद आलस्य इसीसे
शुभ कर्मो को करो निरंतर
चलो निरंतर -३-

Views: 304

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 13, 2010 at 10:38am
जिसके पैर न रुकना जाने ,
जिसके हाथ न थकना जाने
सुनो ध्यान से ;
हरदम उसका
भाग्य-लक्ष्मी पीछा करती...
सखा उसी का होता ईश्वर...
जग में वही सफल होता है .

एक सिख देती हुई खुबसूरत रचना, बेहतरीन अभिव्यक्ति हेतु बधाई आपको, उम्मीद है आप की और भी रचनाएँ तथा अन्य रचनाओं पर आप की टिप्पणियाँ पढ़ने को मिलती रहेगी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service