For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम कसूरी उर बसै, वन उपवन मत भाग ,
मृग दृग अन्तः ओर कर, महक उठेंगे भाग ll1ll
**************************************************
आत्मान्वेषण है सहज, यही मुक्ति का द्वार,
बाहर खोजे जग मुआ, भीतर सच संसार ll2ll
**************************************************
पूरक रेचक साध कर, जो कुम्भक ठहराय ,
द्विजता तज अद्वैत की, सीढ़ी वो चढ़ जाय ll3ll
*************************************************
वर्तमान ही सत्य है, शाश्वत इसके पाँव ,
नित्यवान के शीश पर, वक्त घनेरी छाँव ll4ll
*************************************************
भूत बसे नहिं भविष जो, वर्तमान रम जाय ,
शुद्धोहं शुद्धो अहम् , राग वही मन गाय ll5ll
*************************************************
नित्यता और शुद्धता, जिस उर तह रम जाय,
निर्भेदी निर्मोह वह, ब्रह्म ज्ञान को पाय ll6ll
*************************************************
ब्रह्म ज्ञान अद्वैत है, हर कण एक समान ,
मुक्ति द्वार पहुँचा वही, जो साँचा विद्वान ll7ll
*************************************************

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 4, 2012 at 5:04pm

इस दोहावली में निहित कथ्य को सराहने हेतु हार्दिक आभार आ. अशोक कुमार रक्ताले जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 4, 2012 at 1:10pm

प्रेम कसूरी उर बसै, वन उपवन मत भाग ,
मृग दृग अन्तः ओर कर, महक उठेंगे भाग ll1ll

बहुत सुन्दर संदेशात्मक दोहों के लिए बधाई स्वीकार करें आद. प्राची जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 4, 2012 at 10:16am

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी,

भावों की गहनता, कथ्य की तार्किकता, व शिल्प की शुद्धता को आपकी कसौटी पर खरा उतरा देखना बहुत सुखकर है. इस प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत आभार. सादर.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 3, 2012 at 11:52pm

प्राण श्वसन आयाम से, पाता जाता त्राण
शब्द मौन के द्वार पर, पाता चिर निर्वाण.. . 

सघन-गहन हर भाव है, हर दोहा अति शुद्ध
उतना ही है कथ्य भी, दीखा हमें प्रबुद्ध .. .

बधाई व हार्दिक शुभकामनाएँ, डॉ. प्राची !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 3, 2012 at 10:53pm

कुमार गौरव जी यह दोहावली आपको पसंद आई इस हेतु आभारी हूँ .

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:46pm

सुन्दर दोहावली रची आपने आदरणीया प्राची जी....हार्दिक बधाई स्वीकारें.......


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 3, 2012 at 8:05pm

इस दोहावली निहित भावार्थों को मान देने हेतु हार्दिक आभार आ. संदीप द्विवेदी जी 

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on September 3, 2012 at 7:47pm

बहुत ही सुन्दर दोहावली आदरणीया! निश्चय ही सच्चा विद्वान ही मुक्ति के द्वार तक पहुँच सकता है! हार्दिक बधाई आपको!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 3, 2012 at 5:01pm

यह दोहावली आपको प्रभावित कर सकी, इस हेतु मैं आपकी आभारी हूँ आ. फूल सिंह जी .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 3, 2012 at 4:59pm

आपको यह रचना पसंद आयी, ये मेरे लिए ख़ुशी की बात है. सदभाव सम्प्रेषण हेतु हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लाडिवाला जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service