नई दिल्ली। अन्ना हजारे के प्रस्तावित अनशन से ठीक पहले दिल्ली पुलिस ने मंगलवार की सुबह हजारे, उनके साथी कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी को हिरासत में ले लिया।
हजारे और केजरीवाल को सुबह सात से सवा सात के बीच मयूर विहार स्थित शांति भूषण के सुप्रीम एनक्लेव स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया। जैसे ही दोनों अन्ना का अनशन शुरू होने से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के इरादे से राजघाट जाने के लिए अपार्टमेंट से बाहर निकले, पुलिस ने उन्हें अपने वाहन में बिठा लिया। किरण बेदी को राजघाट से हिरासत में लिया गया।
दिल्ली पुलिस ने तीनों को हिरासत में लिए जाने की पुष्टि की। पुलिस उपायुक्त [अपराध] अशोक चांद सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने आज सुबह अन्ना हजारे से मुलाकात की और उनसे जेपी पार्क में अपने प्रस्तावित अनशन पर आगे न बढ़ने का अनुरोध किया। जेपी पार्क में निषेधाज्ञा लागू है।
सूत्रों के अनुसार जब अन्ना ने पुलिस अधिकारियों की बात मानने से इंकार किया तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया।
हजारे और केजरीवाल को हिरासत में लिए जाने के समय भारी तादाद में उनके समर्थक मयूर विहार में मौजूद थे और नारेबाजी कर रहे थे।
पुलिस की इस कार्रवाई पर पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण और पूर्व विधि मंत्री शांति भूषण ने सवाल उठाए हैं। किरण ने कहा कि यह हिरासत असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है।
वहीं, लोकपाल विधेयक संयुक्त मसौदा समिति के सह-अध्यक्ष भूषण ने कहा कि हजारे को हिरासत में लिया जाना गैर-कानूनी है क्योंकि उन्होंने अब तक तो धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा का उल्लंघन भी नहीं किया है। हजारे मयूर विहार स्थित मेरे फ्लैट पर मौजूद थे जब पुलिस आई और उन्हें ले गई। पुलिस ने हिरासत में लिए जाने का कारण नहीं बताया।
उन्होंने संकेत दिए कि इस कार्रवाई के खिलाफ वह अदालत की शरण में जाएंगे। भूषण ने समाचार चैनलों से कहा कि पहले सरकार को तानाशाही कर लेने दीजिए। फिर हम अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
इससे पहले, कल रात जयप्रकाश नारायण पार्क से भी पुलिस ने हजारे के करीब 50 समर्थकों को हिरासत में लिया था।
साभार :- जागरण
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यह निक्कमी सरकार घपलों और घोटालों के आगे तो कुछ कर नहीं सकी है और अब शांति से अपनी बातों को रखने भी नहीं देती, जनाक्रोश को दबाने की यह अंग्रेजी तरीका कांग्रेस को मटियामेट कर देगी, आजाद भारत को चंद मुठी भर लोग रखैल बना दिए है | जिस कांग्रेस का पहला सिद्धान्त ही सत्याग्रह, अनशन रहा है उसी कांग्रेस पार्टी के मनमोहन सिंह कह रहे है कि "अपनी बातों को मनवाने के लिए अनशन ठीक नहीं" सचमुच बागडोर गोरे अंग्रेजों के हाथ से निकलकर काले अंग्रेजों के हाथों में आ गई है |
शर्म शर्म शर्म...............
यह सरकार की तानाशाही का सबूत है ! जो भी हो रहा है यह देश की सेहत के लिए ठीक नही हो रहा है !
सरकार अपनी नाकामियों से बढ़ कर अपनी ठगी से लोगों का ध्यान हटाने के लिये सारी वर्जिश कर रही है.
"एक अन्ना ने बिगुल फूंक दिया दिल्ली में ,
हर गली में वही हुंकार सुनाई जाए "
यहाँ मुझे दुष्यंत कुमार की कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं ---
मत कहो आकाश में कुहरा घना है.
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है.
दोस्तों ! अब मंच पर सुविधा नहीं है.
आजकल नेपथ्य में संभावना है.
प्रेरणा शहीदो से हम अगर नही लेंगे
आज़ादी ढलती हुई सांझ हो जाएगी
यदि वीरो की पूजा हम नही करेंगे
सच मानो वीरता बांझ हो जाएगी
आजादी कैसी यहाँ, आजादी बस नाम,
भ्रष्टाचारी राज में, सही हुए बदनाम.
सही हुए बदनाम, वही ठहराए दागी.
उनका काम तमाम, जिन्हें है पाया बागी.
ख़त्म करें यह खेल, अंत जिसका बरबादी,
लें अन्ना की राह, तभी पायें आजादी..
सरकार ने तो स्वयं ही अन्ना को हीरो बना दिया है और अब उनका हीरो बनना हजम नहीं कर पा रही है ।
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