For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा 'अमजद इस्लाम अमजद' साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

"कुछ मेरी आँख में हया भी थी'
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन
2122 1212 22/112

बह्र-ए-ख़फ़ीफ़ मुसद्दस सालिम मख़बून महज़ूफ

रदीफ़ --भी थी

काफिया :-अलिफ़ का(आ स्वर) वफ़ा,दुआ,क़ज़ा,सदा,हवा आदि

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 27 सितंबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 28 सितंबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 27 सितंबर दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 1783

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय Aazi जी नमस्कार

ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए 

गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल और निखर जाएगी मेरे लिए ज्ञानवर्धक भी है

सादर

जी शुक्रिया आदरणीय ज़र्रा नवाज़ी का ग़ज़ल पर

प्यार में दर्द था दवा भी थी
थी वफादार बेवफा भी थी

-

प्यार से दिल चुरा लिया मेरा
क्या कहूँ वो बहुत भली भी थी

-

बेवफा तो बहुत मिले हमको,
वो बिना स्वार्थ के वफा भी थी

-

जिन्दगी प्यार के सिवा क्या है
जब हमें प्यार था दया भी थी

-

चाह अपनी किसे बताते हम
इश्क में आह थी दुआ भी थी

-

बेवजह हम लुटे न थे यों ही
क्या ग़ज़ब हुस्न था अदा भी थी

-

गिरह
उस जगह तेज धूप थी फैली
कुछ मिरी आँख में हया भी थी
- दयाराम मेठानी
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब
ग़ज़ल अभी समय चाहती है।
मिसरों में परिपक्वता और रब्त की आवश्यकता है।

नुक़्ते भी नहीं लगाए हैं जहाँ होने चाहिए।

प्यार में दर्द था दवा भी थी
थी वफ़ादार बेवफ़ा भी थी

दर्द था इस में और दवा भी थी
ज़िंदगी इक हसीं सज़ा भी थी
यूँ/ये महब्बत हसीं सज़ा भी थी

प्यार से दिल चुरा लिया मेरा
क्या कहूँ वो बहुत भली भी थी
'भली ' क़ाफ़िया ग़लत है कृपया देखें
" क्या कहूँ वो हसीं बला भी थी "
-
बेवफ़ा तो बहुत मिले हमको,
वो बिना स्वार्थ के वफ़ा भी थी
ख़ूब-सूरत फ़क़त  नहीं थी वो
दिलरुबा मेरी बा-वफ़ा भी थी
-
ज़िन्दगी प्यार के सिवा क्या है
दिल में जब प्यार था दया भी थी

-
बेवजह हम लुटे न थे यूँ ही
क्या ग़ज़ब हुस्न था अदा भी थी
सहीह शब्द है बे-वज्ह 2 21
-

गिरह---नहीं लगी
उस जगह तेज धूप थी फैली
कुछ मिरी आँख में हया भी थी


       // शुभकामनाएँ //

आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी की समझाइश पर ग़ौर कीजियेगा। 

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

आदरणीय अमित जी, आपकी विस्तृत टिप्पणी एवं सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार। आप ऐसा ही मार्ग दर्शन करते रहें। हमें इससे काफी सीखने को मिलता है। एक बार पुन: आपका हार्दिक आभार।

आ. दयाराम जी ,
अमित जी ने विस्तृत चर्चा की है..अत: मैं आपको सहभागिता हेतु बधाई प्रेषित करता हूँ..
साथ ही यह आग्रह भी करूंगा कि अन्य रचनाकार भी अपनी ग़ज़लों पर आपकी और सभी रचनाकारों की टिप्पणी चाहते हैं.. उत्साहवर्धन हेतु आपको टिप्पणी करनी चाहिए 
सादर 

आदरणीय निलेश जी, आपने जो राय दी है वो सही है किंतु मैं उनकी रचना का गुण दोष बताने के काबिल नहीं हूँ। इसलिए संकोच होता है। लेकिन अब आपने कहा है तो अगली बार से मैं सभी की रचना पढ़ूंगा भी और उनसे कुछ सीखने का प्रयास भी करूंगा तथा सभी रचनाओं पर यथा योग्य दाद भी दूंगा।
एक निवेदन है कि हमारे जैसे लोगों का अभ्यास बढ़ाने के लिए इस प्रकार का आयोजन महीने में कम से कम दो बार हो तो अच्छा होगा। आप आयोजकों को कह कर ऐसा करवा सकें तो अच्छा है। हम जो ग़ज़ल लिखते है उस पर टिप्पणी और सुझाव केवल यहाँ ही मिलते है। बार बार लिखेंगे तभी हमारे लेखन में सुधार आयेगा। सादर।

आदरणीय दयाराम जी नमस्कार

ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए

गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर है

सादर

आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

आदपणीय दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ। बधाई। सुझाव भी अच्छे आए हैं। 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
3 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
11 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
21 hours ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
Sunday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service