For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ एकतालीसवाँ आयोजन है.   

 

पुनः इस बार का छंद है - सरसी छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

21जनवरी 2022 दिन शनिवार से 

22जनवरी 2022 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

सरसी छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

*********************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

21जनवरी 2022 दिन शनिवार से 22जनवरी 2022 दिन रविवार तक रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम 

Views: 1650

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

वाह वाह वाह ..  क्या ही सुंदर रचना हुई है, वाह ! 

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपने प्रकृति की अद्भुत छटा को सुंदर ढंग से शाब्दिक किया है. 

बरस  रही  जो  शरद  चाँदनी, नभ  से बारम्बार
अँजुरी भरकर पीते होंगे, रजकण, समझ तुषार .. वाह 

कुछ बिन्दु : 

लगती शिव की जटा घटाएँ, उस ऊपर राकेश .......  शोभित है राकेश 

आल्हादित ...... आह्लादित 

फीके  सोलह  शृंगार  हुए ....  ...  शृंगार सभी सोलह फीके 

इस रचना प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद 

शुभातिशुभ

 

आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

आपकी उपस्थिति के बिना मुझे अपनी हर रचना अधूरी लगती है। आपके स्नेहाशीष के बाद ही संतुष्टि मिलती है। अनमोल मार्गदर्शन के लिए पुनः आभार।

सादर प्रणाम, आदरणीय. 

 सन्नाटा  पसरा है धरती पर, शीत बना यमराज ।

कोई नहीं हलचल प्रकृति है, कैसे जाऊँ काज ।।

 रीत निभानी मुझे प्रीत की,  यायावर  बन  आज ।

कल्पना स्पर्श दिल प्रिया हुआ, है उद्यत युवराज ।।

राँझा  ठहरा  पागल  प्रेमी,  आयेगा  दर  फाँद  ।

दूर  देश  का वासी  है वो, दूज प्रिया का चाँद ।।

विरह व्यथा शिव नेत्र खोलती, सच का होता ज्ञान ।

पाता  अवसर  कामदेव अब,  कर  बाणों  संधान ।।

आखिर  जीत  प्रेम  की  होती,  डूबेगा   नद  चाँद  ।

 हीर  द्वन्द   में    जीती  मरती,  ज्वार भाट उन्माद ।।

सुकूँ  समन्दर  बाद  सुनामी,   स्वाहा  समिधा   यज्ञ ।

दिव्य समर्पण नियम प्रेम का,   ज्ञात   सभी   मर्मज्ञ ।।

मौलिक व अप्रकाशित 

आदरणीय चेतन प्रकाश जी

सादर अभिवादन 

चित्र को हीर राँझा से जोड़ते हुए बहुत सुन्दर चित्रण किया है आपने।हार्दिक बधाई। प्रथम पंक्ति में मात्राएँ देख लीजिए 

आ. सु श्री pratibha pande, आप  प्रस्तुति  तक  पहुँची, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद  ! रचना, माननीया, आपकी संस्तुति पा सकी, आभारी  हूँ ।

" प्रथम  पंक्ति में मात्राएं  देख  लीजिए " 

' सन्नाटा ( 2+2+2 ) + पसरा ( 2+2 ) + है (2 ) + धरती ( 2+2 ) + पर ( 2 )= 16, शीत  ( 2+1 ) + बना (  1+2  ) यमराज ( 2+2+1 )  = 11,

आशा  है आप संतुष्ट  होंगी !

आदरणीय आपने जो विवरण दिया है उसमें ही चूक है। आप फिर से जोड कर देख लें।
सन्नाटा — 6
पसरा — 4
है —      2
धरती — 4
पर —    2

इनका जोड़ 18 होता है। दूसरे चरण की गणना सही है। सादर।

बहुत सुंदर शब्द संयोजन चेतन जी। बहुत सुंदर पंक्तियाँ

आदरणीय बंधु, आयोजन के तहत चित्रोक्त भाव सरसी छंद में ही व्यक्त किये जाने हैं, सो कहना न होगा, मैंने अपनी प्रस्तुति के अन्तर्गत सरसी छंद के तीन पद रचे हैं, पंक्तियाँ नहीं । सादर

आदरणीय सरसी छंद के पदों का आधार भी मात्रा गणना ही होता है। आपकी गणना गलत है। आप इसे दस बार जोड़ ले पर विषम चरण में 16 के बजाय 18 मात्रा ही है। जबकि 16 होनी चाहिए।

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर सृजन हेतु हार्दिक बधाई। आदरणीय प्रथम पंक्ति में मुझे भी कुल 29 मात्रा दिखाई दे रही है। प्रथम चरण में 18 मात्रा है। आप एक बार और देखले।

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।

मात्रा भार के सन्दर्भ में सहमत हूँ। है को हटाकर छंद सही हो जयेगा और गेयता भी प्रभावित नहीं होगी। सादर..

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कभी इधर है कभी उधर है भाती कभी न एक डगर है इसने कब किसकी है मानी क्या सखि साजन? नहीं जवानी __ खींच-…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय तमाम जी, आपने भी सर्वथा उचित बातें कीं। मैं अवश्य ही साहित्य को और अच्छे ढंग से पढ़ने का…"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय सौरभ जी सह सम्मान मैं यह कहना चाहूँगा की आपको साहित्य को और अच्छे से पढ़ने और समझने की…"
7 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कह मुकरियाँ .... जीवन तो है अजब पहेली सपनों से ये हरदम खेली इसको कोई समझ न पाया ऐ सखि साजन? ना सखि…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"मुकरियाँ +++++++++ (१ ) जीवन में उलझन ही उलझन। दिखता नहीं कहीं अपनापन॥ गया तभी से है सूनापन। क्या…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"  कह मुकरियां :       (1) क्या बढ़िया सुकून मिलता था शायद  वो  मिजाज…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"रात दिवस केवल भरमाए। सपनों में भी खूब सताए। उसके कारण पीड़ित मन। क्या सखि साजन! नहीं उलझन। सोच समझ…"
21 hours ago
Aazi Tamaam posted blog posts
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service