For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-93 (विषय: भविष्य)

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-93 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार का विषय है 'भविष्य', तो आइए इस विषय के किसी भी पहलू को कलमबंद करके एक प्रभावोत्पादक लघुकथा रचकर इस गोष्ठी को सफल बनाएँ।  
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-93
"विषय: "भविष्य''
अवधि : 30-12-2022 से 31-12-2022 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)

Views: 1505

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

भविष्य"

आज बिल्लियों का दल सम्बंधित स्थान पर अपनी व्यथा कहने पुनः एकत्रित हुआ।

बात ऐसी थी कि चूहे पकड़ने के लिए बिल्लियों की नियुक्ति का इश्तेहार छप चुका था। योग्यता परीक्षा आयोजित कर बिल्लियों के चयन का अंतिम परिणाम जारी किया जाना था। इन दिनों राज्य में भीषण अकाल पड़ा। जिससे राज्य की पहली प्राथमिकता भोजन उपलब्ध कराना हो गया। भुखमरी चरम पर थी। जीवन भी अस्त-व्यस्त होने के साथ बीमारी अलग से पाँव पसार रही थी। धीरे-धीरे स्थितियाँ सामान्य होने लगी। पुनः अवरुद्ध नियुक्ति की माँग उठने लगी।
उन्हें कई वर्षों से समझाया जा रहा है। पहले अनाज की उचित व्यवस्था होगी। जब चूहे सबल हो जाएँगे, तब नियुक्ति पर विचार किया जाएगा।

आज बिल्लियों पुनः अपने भविष्य को लेकर चिंतित थीं ।


****************************

मौलिक व अप्रकाशित

सादर नमस्कार। 'बिल्लियों/चूहों/भुखमरी/बीमारी और चूहों' के माध्यम से कम शब्दों की कसी हुई इस रचना में बहुत कुछ इशारों में कहने का प्रयास हुआ है। हार्दिक बधाई जनाब दिनेश कुमार विश्वकर्मा साहब। पाठक  इसे राजनीतिक व्यंग्य या भ्रष्टाचार पर व्यंग्य या 'लक्ष्य' और 'शिकार' आधारित नीतियों की परिस्थितिजन्य नियति पर रचना समझ सकते हैं। मैं इसे पूरी तरह सही समझ सका या नहीं, कृपया बताइएगा।

जी सादर अभिवादन स्वीकार करें आदरणीय। आप स्वयं पारखी हैं। आप इसे युवा वर्ग की रोजगार को लेकर पीड़ा से जोड़ सकते हैं। आप रचना तक आए इस हेतु आभार व आपकी प्रतिक्रिया से निश्चित ही मुझे प्रेरणा मिली है।

शुक्रिया आदरणीय।

आदरणीय विश्वकर्मा जी,सहभागिता हेतु बधाई लीजिए। हां,रचना स्पष्टता की आकांक्षी है।स्थिति -विक्षेप प्रवाह में बाधक बना है।पुनर्लेखन आवश्यक प्रतीत होता है।

जी आभार आपका।

आद0 दिनेश जी सादर अभिवादन। मैं कई बार पढा पर कुछ खास समझ नहीं पाया। बहरहाल प्रयास और सहभागिता के लिए बधाई

जी सादर अभिवादन।यह कोरोना काल में युवाओं की पीड़ा है, रोजगार सम्बन्धी।जिसे प्रतीकात्मक रूप से दर्शाया गया है।आभार आपका।

प्रियं च नानृतं ब्रूयात



एक बार फिर विक्रम ने बैताल को पेड़ से उतारा और कांधे पर लादे चल पड़ा यह देख बैताल हँसने लगता है कहता है,

"तू बहुत जिद्दी है।लगता है तू अपने उद्देश्य में सफल हो जायेगा।चल रास्ता काटने के लिए मैं तुझे एक कहानी सुनाता हूँ लेकिन यदि तुमने कहानी के बीच में कुछ भी बोला तो मैं वापस इसी पेड़ पर लटक जाऊंगा।"

बैताल की बात सुनकर विक्रम बस मुस्कुरा देता है।बेताल अपनी कहानी शुरू करता है,

"एक रिटायर्ड अधिकारी था।उसके दो बेटे थे।बेटों की शादी हो चुकी थी।दोनों बेटे अपने कामकाज के कारण  व्यस्त रहते।अधिकारी और उसकी पत्नी सुखपूर्वक महानगर के पॉश एरिया में रह रहे थे।ऊँचे रसूखदार पद पर रहने के कारण अधिकारी के पास धन और सुविधा की कमी नहीं थी। बच्चे भी अपने माता पिता के प्रति निश्चिंत थे।

समय गति से चल रहा था।एक सुबह अधिकारी की पत्नी नींद से जागी ही नहीं।अधिकारी के ऊपर दुख का पहाड़ टूट पड़ा।बेटों को खबर कर दी गई दोनों परिवार सहित दौड़े चले आए।अंतिम संस्कार के बाद सारे कर्मकांड निपटा दिए गए।अधिकारी अब रौब न दिखाते और ज्यादातर चुप ही रहते।सभी जानते थे कि वह पत्नी के जाने से दुखी हैं।दोनों बेटे और बहू अधिकारी का ख्याल रखते।लेकिन परिवार में पहले की तरह न तो भाई आपस में ज्यादा बात करते और न ही एक साथ पिता के साथ समय बीताते।दोनों बेटों का ध्यान अपने पिता की ज्यादा से ज्यादा सेवा करने पर ही रहता।

अचानक एक दिन अधिकारी घर से गायब हो जाते हैं।सब जगह ढूंढ की जाती है लेकिन वह नहीं मिलते।रिश्तेदार घर में इकट्ठा हो जाते हैं।दो दिन बाद एक रजिस्टर्ड डाक अधिकारी के घर आती है जो कि एक पत्र होता है।

पत्र में लिखा होता है कि 

प्रिय बच्चों,

मैंने स्वेच्छा से अपने रहने की व्यवस्था वृद्धाश्रम में करवा ली है।अब मेरे कारण तुम्हें कष्ट नहीं होगा।मैं जानता हूँ तुम सब मेरे लिए फिक्रमन्द हो लेकिन मैंने तुम सबकी चिंता को दूर करने के लिए यह कदम उठाया है।तथा अपनी जमापूंजी व घर भी वृद्धाश्रम को दान कर दिया है।अंतिम संस्कार के लिए किसी को परेशान नहीं करना चाहता इसलिए अपने अंतिम संस्कार के लिए मैंने एक संस्था को धन जमा करा दिया है।

मैं सुंदर झूठ अब नहीं झेल सकता।"



"विक्रम अब तुम बताओ कि आखिर क्यों अधिकारी ने ऐसा निर्णय लिया?बता विक्रम।यदि दोनों मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं दिया तो मैं तेरे सिर के टुकड़े- टूकड़े कर दूंगा।



"अधिकारी दूरदर्शी थे।बच्चों के बीच आई दूरी की वजह को जानकर उन्होंने वह वजह ही जड़ से मिटा दी।" इतना कहकर विक्रम चुप हो गया।

"और वह वजह क्या थी!!" बैताल ने पूछा।

"वजह थी अधिकारी की संपत्ति जिसे दोनों ही बेटे अपने नाम कराना चाहते थे और इसलिए ही दोनों पिता की सेवा में होड़ कर रहे थे।'

"तूने सही कहा विक्रम लेकिन तू बोला और मैं गया।" इतना कहकर बैताल पेड़ पर जाकर लटक गया।



दिव्या शर्मा 








आदाब। कृपया.ध्यान दीजिएगा कि आप अंत में 'मौलिक व अप्रकाशित'जोड़ना भूल गईं हैं।

जी सर,आज पोस्ट करते हुए बहुत परेशानी हुई उसी के कारण यह भूल हो गई।यह मौलिक और अप्रकाशित है।

शुक्रिया। ऐसा ही लग रहा था।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
17 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
18 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
18 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर आपने सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं.…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service