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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-137 

विषय - "होली आयी रे ..."

आयोजन अवधि- 12 मार्च 2022, दिन शनिवार से 13 मार्च 2022, दिन रविवार की समाप्ति तक अर्थात कुल दो दिन.

ध्यान रहे : बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता, अतुकांत आधुनिक कविता, हास्य कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, नज़्म, हाइकू, सॉनेट, व्यंग्य काव्य, मुक्तक, शास्त्रीय-छंद जैसे दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि.

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 12 मार्च 2022, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा।

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
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ई. गणेश जी बाग़ी 
(संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक)
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कुण्डलिया छंद पर प्रयास श्लाघनीय है, किंतु अंतरलयता को लेकर समझ बननी बाकी है. खैर, इस विषय पर छंदोत्सव के आयोजन में चर्चा होगी. 

बसंत में कोयल तो गाती है, लेकिन मल्हार क्यों गाएगी भला ? दादुर-पपीहा के बोलों की लाक्षणात्मकता हेमंत के लिए छोड़ देनाचाहिए, न कि बसंत के लिए.

कथ्य सुन्दर है पर शिल्प पर थोड़ा और ध्यान दें आदरणीय 
थोड़े से ही प्रयास से शिल्प सधने लगेगा 

प्रयास के लिए बधाई 

गीत
____
फगुनाया मौसम कहता है,रंग चटख लाओ झोली भर
___
मस्तानों की लाओ टोली 
ढोली गाये जमकर होली 
छँट जायें बदरंगी  बादल
मन के नभ पर सजे रंगोली
लाल गुलाबी नीले पीले, खुलकर इनसे कुछ बतियाँ कर
___
नहीं उदासी की हों बातें
भूलें कल की काली रातें
दिखे दूर तक बस आँखों को
छिटके रंगों की सौगातें
मन को खिल जाने दे फिर से, उत्साहित बालक सा होकर
____
 हँसी ठिठोली हो ले थोड़ी
मुस्कानों की जोड़ा जोड़ी
उस डोरी की करें मरम्मत 
रिश्तों की जो कल थी तोड़ी
 तज कर तिर्यक मुद्राओं को, हो जाना है निश्छल निर्झर
_____
मौलिक व अप्रकाशित

आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुन्दर गीत हुआ हार्दिक बधाई।

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी

आदरणीया प्रतिभा जी,  बहुत सुन्दर गीत, मैं तो गा गा कर पुरे लय में पढ़ गया, बहुत बढ़िया, बधाई स्वीकार करें। 

हार्दिक आभार आदरणीय गणेश बागी जी। होली की हार्दिक बधाई।

क्या बात है ! क्या बात है !! 

आदरणीया प्रतिभा जी, हार्दिक बधाइयाँ ..

 आपकी उपस्थिति और सराहना के लिये हार्दिक  आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी। होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

आ. सु श्री प्रतिभा  पाण्डे जी, सुन्दर किन्तु  संक्षिप्त  गीत की सर्जना हुई है, बधाई ! 'तज अभी तिर्यक  मुद्राओं

को,' बेहतर  विकल्प है " सादर 

हार्दिक  आभार आदरणीय

वाह !
बहुत सुन्दर गीत हुआ है आ० प्रतिभा जी 
सचमुच उदासी की स्याह रातों को पीछे छोड़ रंगों के उजाले अपनाने का सुन्दर सन्देश देती रचना 

बहुत बहुत बधाई 

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