For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-83 (विषय: चिकित्सा जगत)

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-83 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है, इस बार आयोजन के विषय-निर्धारण में थोडा परिवर्तन किया गया है। अर्थात विषय का दायरा बढ़ाने का प्रयास किया गया है। इस बार हमें 'चिकित्सा जगत'  के विभिन्न पह्लुयों पर कलम चलानी होगी। मैं चाहता हूँ कि हमारे रचनाकार अपनी कल्पनाशक्ति का उपयोग कर चिकित्सा जगत के कुछ अनछुए पह्लुयों पर भी सृजन करें। आयोजन में शामिल उत्कृष्ट रचनाओं को मेरे द्वारा संपादित 'चिकित्सा जगत की लघुकथाएँ' नामक शीघ्र प्रकाशित लघुकथा संग्रह में स्थान दिया जाएगा।          
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-83 
"विषय: 'चिकित्सा जगत'
अवधि : 27-02-2022 से 28-02-2022 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 1522

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम

हार्दिक आभार के संग साधुवाद

हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ| 

दोहरी चाल
यह विचार का मुद्दा था कि आखिर एक ही सूई उस अज्ञात बीमारी से ग्रसित किसीको जीवन देती है, किसी का ले लेती है,क्यों?वार्तालाप को निष्कर्ष की तरफ ले जाती थुलथुल ताई बोली,'मेरे साहेब तब दवा विभाग में निगरानी अधिकारी थे।उनकी देखरेख में सूइयां हर जगह भेजी जाती थीं।'
' तो ? सरकारी नौकर हैं।ड्यूटी बजाएंगे न?' ताई से चिढ़ी रहनेवाली चतुरी चाची बोलीं।
'सुनो तो।मेरी मां भी उस बीमारी की गिरफ्त में आ गई थी।बगल के ही रुबिया अस्पताल में थी।मर गई।'
'ऐं?यह अस्पताल तो सुनते हैं,अच्छा इलाज कराता है।'
'हां, ऐन मौके पर ऑक्सीजन की पाइप इन लोगों ने निकाल ली थी। दम घुटा था उनका।'
'अरे बाप रे!ऐसी हैवानियत?'
'सूइयां भी दो तरह की होती थीं।जिनके लगने से शरीर में झिनझिनी हो,तो समझो बेरा गर्क।हुआ भी वही।'
'मौलिक एवं अप्रकाशित '

नमस्ते आदरणीय मनन कुमार सिंह जी | गोष्ठी का फ़ीता काटने हेतु हार्दिक बधाई| कोरोना काल के दौरान ऐसी विसंगतियों के बारे में, एवं टी.वीं. के समाचार प्रस्तुति में काफी कुछ पढने और सुनने को मिला था | यह एक गंभीर विसंगति बन सामने आयी थी| मरीज़ों की बढती संख्या और अस्पतालों में उपकरणों एवं जरूरी सामान की कमी ने बहुत सारे प्रश्न खड़े कर दिए थे| इस गंभीर विसंगति को लेकर कलम चलाने हेतु आपको बधाई देती हूँ जो आप स्वीकारें| 

आपका दिली आभार आ. कल्पना जी।

आदाब। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी विषयांतर्गत बढ़िया सांकेतिक प्रविष्टि से गोष्ठी का आग़ाज़ करने हेतु। गोष्ठी का विषय बहुत ही गंभीर और समसामयिक तो है ही, दीर्घकालिक विचारोत्तेजक भी है, यदि हम चिकित्सा क्षेत्र की ज्वलंत विसंगतियों को पकड़ कल्पनाओं से कुछ बुन सकें लघुकथा विधा में।

रचना को मान अता फरमाने के लिए आपका दिली आभार आ.उस्मानी जी।नमन।

हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बेहतरीन लघुकथा।

आभार आ. तेजवीर जी।

शल्यचिकित्सा (लघुकथा) :


दो शल्यचिकित्सक शहर के मशहूर हृदय विशेषज्ञ थे। वे सरकारी सेवाओं के साथ अपने-अपने निजी अस्पतालों में भी सफलतापूर्वक दायित्व निभा रहे थे। उनमें से एक की युवा उच्च शिक्षित बेटी ने घर से भाग कर दूसरे के युवा उच्च शिक्षित बेटे से गुप्त विवाह कर लिया। गुमशुदाओं की तलाश के दरमियाँ मीडिया जनता के समक्ष विवादित और गरमागरम मसाला सौंपता रहा। शहर में अफ़वाहों के साथ विषयांतर्गत चुटकियाँ भी ली गईं।


"ख़ूबसूरत बिटिया के माँ-बाप ने भी लव मैरिज ही तो की थी न! बड़ी ख़ूबसूरत चर्चित जोड़ी रही है वह भी!" एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा।


"अरे, लव-मैरिज ही तो थी, तभी तो दो साल बाद असफल हो गई ... खींच रहे थे ज़िंदगानी सोशल स्टेटस की ख़ातिर!" दूसरे ने कहा।


"समाज के कारण नहीं जनाब; अपने प्रोफेशन और अस्पताल की प्रतिष्ठा की ख़ातिर!" तीसरे ने कहा।


"लेकिन समाज के कारण ही तो डॉक्टरों की स्मार्ट सन्तानों ने घर से भाग कर शादी की न!" पहले वरिष्ठ नागरिक ने ज़ोर से कहा, "इन्टरकास्ट लव-मैरिज!"


"इन्टरकास्ट लव-मैरिज नहीं साहब! अरेंज्ड लव... सो अरेंज्ड लव-मैरिज! उन्हें भी तो प्रतिष्ठित अस्पताल खोलना पड़ेगा न, डॉक्टर बनकर! पति-पत्नी दोनों ही डॉक्टर होने की चाहत या मजबूरी; अपनी जाति में हो या पराई में!" दूसरा बोला।


"मतलब दिलों की शल्यचिकित्सा के हुनरों का मामला है, है न!" तीसरे ने तंज किया, "क़ामयाबी मिले या नाक़ामयाबी!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

नमस्ते आदरणीय शेख़ शहजाद उस्मानी जी, आपने विषयानुसार लघुकथा लिखने का प्रयास किया है जिस हेतु बधाई स्वीकार करें| परन्तु सर्वनाम के बजाय पात्रों के नाम दिए जाते तो मेरे मत से कथा और स्पष्ट हो पाती | एक सुझाव मात्र | आशा है आप बुरा नहीं मानेंगे और मेरे कहे पर विचार करेंगे| 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service