For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ सताइसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार का छंद है - शक्ति छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

20 नवम्बर 2021 दिन शनिवार से 

21 नवम्बर 2021 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

चित्र अंर्तजाल के माध्यम से 

शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...

जैसा कि विदित है, कईएक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो

20 नवम्बर 2021 दिन शनिवार से  21 नवम्बर 2021 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2772

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय डॉ. छोटेलाल सिंह जी सादर, प्रदत्त चित्र के मर्म को पकड़ कर बहुत सुंदर शक्ति छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर

आदरणीय छोटेलालजी, वाह ! 

तार्किकता मुग्धकारी है. 

अलबत्ता, अंतिम दो पंक्तियों मेॆ व्याकरण का निर्वहन नेष्ट है. सावधानीपूर्वक  ध्यान दें तो स्पष्ट होगा. बाकी, आदरणीय अशोक भाई साहब के कहे का संज्ञान लें. 

बहरहाल, इस प्रयास पर हार्दिक बधाई

शुभातिशुभ 

ज़माना नया आ गया आज है।
जहां खो गई शर्म भी लाज है।
लिए नार है लाल को गोद में।
कहां डूब पाए सभी मोद में।

सफ़र में सभी ट्रेन में मस्त हैं।
पता ही नहीं नार ये त्रस्त है।
किसी को किसी की ख़बर ही नहीं।
इन्हें दूसरों की फिकर ही नहीं।

सुखों को सभी त्यागती मातु है।
बहुत प्यार का ये समझ नात है।
न रोये कभी लाल इस शोर में।
लिए बैठती इसलिए भोर में।

न श्रद्धा रही खो गया मर्म है।
रहा अब कहां भाव ये नर्म है।
दिखे अब नहीं दीन में आस है।
नई पीढ़ियों से न विश्वास है।

सुनों सीख लो नौजवानों सभी।
करो दीन की फिक्र भी तुम कभी।
झुके क्यूं नज़र आपके कर्म से।
बढ़े नाम भी आपके धर्म से।

स्वरचित एवं अप्रकाशित

आदरणीय छोटे लाल जी सादर प्रणाम। आप की टिप्पणी के लिए हृदय से धन्यवाद।

आदरणीया दीपांजलीजी 

चित्र को ध्यान से देख समझकर लिखी गयी इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई |

 लाज शर्म का अर्थ एक ही है ...............  मनुज की लाज है    कर लीजिए या कुछ और सोचिए

सादर 

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव सादर प्रणाम। आप के सुंदर सुझाव व मार्गदर्शन हेतु हार्दिक आभार। सही करती हूं सादर।

आ. दीपांजलि जी, चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं । हार्दिक बधाई। 

दिखे अब नहीं दीन में आस है।
नई पीढ़ियों से न विश्वास है।......बहुत कड़वी सही किन्तु यही यथार्थ है.

आदरणीया दीपांजलि जी बहुत सुंदर छंद रचे हैं आपने प्रदत्त चित्र पर. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर

आदरणीया दीपांजलि जी, आपके प्रयास के प्रति मन प्रसन्न है. रजनाकर्म अवश्य सायास प्रतीत हो रहा है जहाँ विधान निर्वहन का दवाब दृष्टि से अलोत नहीं होता. किंतु, संप्रेषणीयता निभ पाने से प्रयास की सार्थकता बनी दिखती है. 

हार्दिक बधाइयाँ.. 

शक्ति छंद
==========

परेशान है माँ सिटी रेल से |
जगह ना मिली भाग्य के खेल से||
अकेली नहीं साथ नवजात है|
मिली सीट जिनको बड़ी बात है||

वहीं लड़कियाँ बैठकर शान से|
लगा मास्क पढ़ती बड़े ध्यान से||
दया कर न पायी कुसंस्कार से|
न सूझा बिठालें उसे प्यार से ||

अजब आज के लोग परिवार हैं|
पनपते नशेड़ी व बटमार हैं||
न शिक्षा सही है न संस्कार है|
बिगड़ते युवा देश लाचार है||
------------------------------
मौलिक अप्रकाशित

चित्रानुरूप बहुत ही बेहतरीन रचना के लिए सादर शुभकामनाएं

आदरनीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर प्रणाम I

चित्रानुरुप आकर्षक रचना के लिए हार्दिक बधाई I

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service