For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुहब्बत की हमारी आख़री मंज़िल तुम्हीं तो थे (134 )

ग़ज़ल ( 1222 1222 1222 1222 )
मुहब्बत की हमारी आख़री मंज़िल तुम्हीं तो थे
सफ़र भी तुम मुसाफ़िर तुम मक़ाम-ए-दिल तुम्हीं तो थे
**
अकेलेपन के साथी हो अभी तक याद में ढलकर
मुसीबत में ख़ुशी में बारहा शामिल तुम्हीं तो थे
**
हथेली की लकीरों को नुज़ूमी को दिखाते क्या
तुम्हीं कल थे हमारा और मुस्तक़्बिल तुम्हीं तो थे
**
न जाने रह गए कितने अधूरे ख़्वाब जीवन में
हज़ारों में हुआ था ख़्वाब जो कामिल तुम्हीं तो थे
**
बहुत बेहतर समझते थे ज़ुबान-ए-ख़ामुशी भी तुम
बताएँ क्या कि इस दिल की ज़ुबान-ए-दिल तुम्हीं तो थे
**
समुंदर तुम तुम्हीं सैलाब और गिर्दाब भी थे तुम
तुम्हीं थे नाख़ुदा इस ज़ीस्त के साहिल तुम्हीं तो थे
**
हमें रब के करम से ख़ूबसूरत सा मिला तोहफ़ा
गुहर जो क़ीमती हमको हुआ हासिल तुम्हीं तो थे
**
लिये थे इम्तिहाँ कितने परख कर फल यही निकला
हर इक पहलू से हमदम प्यार के क़ाबिल तुम्हीं तो थे
**
शबाब-ओ-हुस्न की दौलत से मालामाल थे तुम ही
'तुरंत' इसके अलावा आलिम-ओ-फ़ाज़िल तुम्हीं तो थे
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी
"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 592

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 4, 2021 at 11:36am

वाह क्या ग़ज़ल कही है आदरणीय गहलोत जी...वाकई बहुत ही प्यारी...हार्दिक बधाई

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 22, 2021 at 11:51pm

भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी ,हौसला आफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 22, 2021 at 11:51pm

भाई   Nilesh Shevgaonkar जी ,हौसला आफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 20, 2021 at 12:09pm

ख़ूब हुई है यह ग़ज़ल आदरणीय.
बढाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 19, 2021 at 4:19am

आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर अभिवादन । बहुत खूबसूरत गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service