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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-73 (विषय: आदर्श)

आदरणीय साथियो,
सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-73 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-73
विषय: "आदर्श"
अवधि : 29-04-2021 से 30-04-2021 तक
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अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फ़ॉन्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है।
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाए रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाएँ इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद ग़ायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आसपास ही मँडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया क़तई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा ग़लत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिसपर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फ़ोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आ. भाई ओमप्रकाश जी, अच्छी संदेशपरक रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

सादर नमस्कार। बहुत ही सार्थक व सारगर्भित सृजन। शीर्षक व विषयांतर्गत बेहतरीन पंचयुक्त समापन पंक्ति से कथ्य सम्प्रेषण करती बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई जनाब ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' साहिब।

इस गोष्ठी में भी हमें बढ़िया लघुकथाएं और मार्गदर्शन हासिल हो सका है। हम इसी तरह सक्रीय रहें साहित्यिक गतिविधियों में। यही सच्ची विनम्र श्रद्धांजलि होगी उन महान साहित्यकारों के प्रति जो हमें दायित्व सौंप कर इस महामारी काल में हमें छोड़कर स्वर्गवासी हो गये। उन्हें हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

आ. ओम जी,लघुकथा हेतु बधाई लीजिए।'काम अपनी गति से होता है और बस समझो,हो गया।' हो जाए, तो शायद ज्यादा उपयुक्त हो।महज एक अल्पविराम की बात है।हो सकता है, टंकण में रह गया हो।

दूसरी बात,...तुम आजकल काम करवा कर लौटोगे या आज काम करवा कर लौटोगे?' कुछ दुविधा की स्थिति प्रकट हुई,इसलिए जानना चाहा।

वैसे लघुकथा के माध्यम से व्यवस्था पर जोर की चोट धीरे से लगाई गई है।

आदरणीय मननकुमार जी आपके इस शानदार सुझाव के लिए हार्दिक आभार 

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