For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनजाने से .....

मैं
व्यस्त रही
अपने बिम्ब में
तुम्हारे बिम्ब को
तराशने में

तुम
व्यस्त रहे
स्वप्न बिम्बों में
अपना स्वप्न
तराशने में

हम
व्यस्त रहे
इक दूसरे में
इक दूसरे को
तलाशने में

वक्त उतरता रहा
धूप के सायों की तरह
मन की दीवारों से
हम के आवरण से निकल
मैं और तू
रह गए कहीं
अधूरी कहानी के
अपूर्ण से
अफ़साने में

हम
फिर बन जाते हैं
अजनबी
अपनी अपनी मैं के दम्भ को जीते हुए
हम के अवगुंठन में
अनजाने से


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 592

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 21, 2020 at 6:27am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन । सुन्दर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Sushil Sarna on November 20, 2020 at 8:14pm

 आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया ।

Comment by Sushil Sarna on November 20, 2020 at 8:13pm

 आदरणीय narendrasinh chauhan जी, सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया ।

Comment by narendrasinh chauhan on November 19, 2020 at 6:34pm

khub sundar rachna sir 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 17, 2020 at 8:09pm

एक और बोलती कविता के लिए बधाई आदरणीय सुशील जी...

Comment by Sushil Sarna on November 11, 2020 at 8:38pm

"आदरणीय  Samar kabeer जी, सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है

Comment by Samar kabeer on November 8, 2020 at 12:10pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"1212    1122    1212    22 /  112 कि मर गए कहीं अहसास…"
6 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय भाई , आपका बहुत शुक्रिया "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीया रिचा जी आपका बहुत आभार "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"तरही ग़ज़ल  का आयोजन जो पहले  १०० - २००  पेज  तक पहुँच जाता था उसका  ८ -१०…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरर्नीय नीलेश भाई , आपने वो सब कुछ कह दिया जो मेरे मन में  थी , आपसे सहमत होते हुए एक…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमित जी,गिरिराज जी मौसीक़ी पर सहमत हो गए है .. इसके बाद इतनी लम्बी और कुण्तठित क़रीर की…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सहीह शब्द महब्बत ही है  और सहीह शब्द मूसीक़ी ही है । जिसे मानना है माने। जिसे नहीं मानना न…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय गिरिराज जी। बहुत बहुत बधाई। मूसीक़ी पर हुई चर्चा सार्थक रही। अमित भाई के…"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"जी ठीक है "
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमित जी गिरह का ये  प्रयास कृपया देखियेगा  सादर  तमाम शहर में रोबोट ही नज़र…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service