For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजन तुम्हें पता - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२


छलकी बहुत शराब क्यों राजन तुम्हें पता
उसका नहीं हिसाब क्यों राजन तुम्हें पता।१।
**
हालत वतन के पेट की कब से खराब है
देते नहीं जुलाब क्यों राजन तुम्हें पता।२।
**
हम ही हुए हैं गलमोहर इस गम की आँच से
बाँकी हुए गुलाब क्यों राजन तुम्हें पता।३।
**
हर झूठ सागरों सा है इस काल में मगर
सच ही हुआ हुबाब क्यों राजन तुम्हें पता।४।
**
सुनते थे इन का ठौर तो बस रेगज़ार में
सहरा में भी सराब क्यों राजन तुम्हें पता।५।
**
बदला नहीं हैं क्यों भला शासन ये पूछते
देते नहीं जवाब क्यों राजन तुम्हें पता।६।


मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 696

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 8, 2020 at 7:19am

आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन । गजल की प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 8, 2020 at 7:18am

आ. डिम्पल जी,.सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 8, 2020 at 7:17am

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गथल पर उपस्थिति व सराहना के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 8, 2020 at 7:15am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर पुनः उपस्थिति व मार्गदर्शन के लिए आभार ।

Comment by Dayaram Methani on June 6, 2020 at 9:10pm

हालत वतन के पेट की कब से खराब है
देते नहीं जुलाब क्यों राजन तुम्हें पता --------अति सुंदर। 

सुंदर गज़ल के लिए ल्क्षमण धामी जी बधाई स्वीकार करें।

Comment by Dimple Sharma on June 6, 2020 at 2:40pm

क्यों राजन तुम्हें पता.. बहुत खुबसूरत रदिफ़ और उम्दा ग़ज़ल, बधाई स्वीकार करें आदरणीय।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 5, 2020 at 11:24pm

जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें।

उस्ताद ए मुहतरम की बातों का संज्ञान लें। सादर। 

Comment by Samar kabeer on June 5, 2020 at 6:12pm

क़वाफ़ी अब ठीक हैं ।

'देते नहीं जुलाब क्यों राजन तुम्हें पता'

इस मिसरे में सहीह लफ़्ज़ "जुल्लाब" है,देखियेगा ।

'सच ही हुआ हुबाब क्यों राजन तुम्हें पता'

इस मिसरे में 'हुबाब' को "हबाब" कर लें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 5, 2020 at 4:42pm

आ. भाई समर कबीर जी, अब देखियेगा । सादर....

Comment by Samar kabeer on June 5, 2020 at 2:16pm

'शराब' के साथ 'निराश' की तुक कैसे होगी भाई?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
39 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service