For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परिचय [लघु कथा ]

परिचय
मेला प्रांगण में आयोजित बारहवाँ साहित्य सम्मेलन में देशभर के साहित्यकारों का जमावड़ा लगा हुआ था,जिसमें माननीय राज्यपाल के करकमलों से पुस्तक का विमोचन किया जाना था.
आगंतुकों में शहर के प्रतिष्ठित,मनोहर बाबू भी विशिष्ठजन की पंक्ति मंं विराजमान थे.शीघ्र ही मंच पर राज्यपाल की उपस्थित से सन्नाटा खिंच गया.औपचारिकताओं के पश्चात,जिस लेखक की किताब ‘मेरा परिचय’का अनुमोदन किया जाना था,उसे संबोधित कर मंच पर आने का आग्रह किया गया.तो सभी की उत्सुकता में एकटक निगाहें मंचासीन होने वाले के इंतजार मे ठहर गई,जिसकी सप्ताहभर से शहर के समाचार पत्रों में चर्चित थी.क्षणिक पल पश्चात साधारण लिबास में जो महिला उपस्थित हुई,उसे देख दर्शक दीर्घा में बैठे मनोहर बाबू को हदप्रद देख,बगल में बैठे,उनके दोस्त,त्रिपाठी जी ने बधाई देते हुये कहा,‘अरे,ये तो अपनी बिटिया,गरिमा हैं.पर सम्बोधन में नाम अर्पिता ले रहे थे.’
त्रिपाठी जी की बात से वो भी असमंजस्य में बस हाँ,हूँ ही कर पा रहे थे,क्योंकि वो भी इस सबसे अंजान थे.तभी तालियों की गड़गड़ाहट के बीच अपना नाम सुन,मंच पर ध्यान गया,तो उनकी बेटी गरिमा हाथ के इशारे से आने का आग्रह कर रही थी.
मंच पर पहुचते ही उनका फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया गया.अर्पिता ने अपनी इस कामयाबी के लिए अपने परिवार के साथ-साथ,मम्मी-पापा को श्रेय देते हुये अतिथि महोदय से आग्रहपूर्वक कहा, ‘यह सम्मान अपने पिताजी को समर्पित चाहूंगी.’
प्रवक्ता गरिमा के संघर्ष पूर्ण कामयाबी के विषय मे बोले जा रहा था,पर मनोहर बाबू के कानों में सिर्फ अपना नाम सुनाई दे रहा था,और इशारे से बुलाती बिटिया का हाथ...उनके जेहन मे उस दिन की बात स्मरण हो आई,जब उनसे,नातिनी,चिकी ने वंशावली प्रोजेक्ट के लिए परदादा-दादी सहित सभी सदस्यों के नाम लिए,उसमें गरिमा का नाम ना देख पूछा तो मनोहरबाबू ने समझाते हुये कहा,‘बेटा,वंशावली में लड़कियों के नाम नहीं लिखे जाते.’
‘फिर,मेरा नाम क्यों?’
‘अभी आपकी शादी नहीं हुई हैं,इसलिए.’
‘लेकिन गरिमा बुआ की भी तो नही हुई!!!’
असमंजस में पड़े मनोहर बाबू निरूत्तर थे,दोनों की बातें सुन,गरिमा ने संयमित स्वर में चिकी को समझाया,‘देखना एक दिन,इस लिस्ट में नामजद ना सही,पर सरकार की लिस्ट में जरूर रहूँगी.’ और,चिकी को उसके कमरे में पढ़ने बैठा दिया,पर उसका अन्तर्मन चिकी के सवालों मे उलझ गया,कितनी संकीर्ण मानसिकता वाले रूढ़िवादी नियम हैं,समाज में तो ,परिवार को कुलदीपक देने वाली महिलाओं का श्राद्ध करना तो दूर,कही उनका नाम भी किसी वही-खाते में नहीं होता...फिर मेरा...तो....लेकिन मनोहर बाबू की बात से आहत हुई,पर अपने को कमजोर ना बना,मन-ही-मन द्रढ़ संकल्प लिया,वो अपनी पहचान खुद बनाएगी,किसी के परिचय की मोहताज नहीं रहेगी.
शुरू से ही लिखने-पढ़ने की शौकीन गरिमा के यदा-कदा पत्रिकाओं,अखबारों में लेख छपते थे,पर,अर्पिता नाम से उसके इस शौक से घरवाले अपरिचित थे.इसी आधार को जुनून बना,अपना बजूद हासिल किया.
आज एक अलग पहचान से जितनी उसे खुशी थी,उससे ज्यादा उसे अपने पिता को सम्मानित होते,गौरवान्वित होते देख.पिताजी सुन,देखा-सामने मुस्कराती गरिमा थी,उसे देख ,उन्हें अपनी ओछी सोच पर पछतावा था,जो उनकी आंखो से बह रहा था.

मौलिक व अप्रकाशित 

बबिता गुप्ता 

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nita Kasar on March 13, 2019 at 12:48pm

रूढ़िवादी सोच पर प्रहार करती संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आद० बबिता गुप्ता जी ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 10, 2019 at 3:03pm

आदाब। बहुत बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता साहिबा। सुझावों पर ग़ौर फ़रमाइयेगा।

Comment by babitagupta on March 7, 2019 at 11:47pm

आदरणीया नीलम दी,आदरणीय हरिओम सरजी,समर सरजी,तेजवीर सरजी,आप सभी का आभार ।बेहतरीन करने की कोशिस करूंगी ।

Comment by Hariom Shrivastava on March 7, 2019 at 5:42pm

वाह,बहुत सुंदर कहानी। कहानी और छोटी रखने का प्रयास होना चाहिए। 

Comment by Samar kabeer on March 7, 2019 at 2:22pm

मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on March 6, 2019 at 3:55pm

आदरणीया बबिता गुप्ता जी, बहुत ही अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 6, 2019 at 10:41am

हार्दिक बधाई आदरणीय बबिता गुप्ता जी।बेहतरीन लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service